मानो कोई छूत की बीमारी हो, या कहें कोई महामारी है, जिसका प्रकोप दिनोदिन फैलता ही जा रहा है। दशकों से जारी अहम प्रतियोगी प्रवेश परीक्षाओं में पर्चा लीक, नकल, 'मुन्ना भाइयों' के जोर-जुगाड़, धांधली का सिलसिला जैसे अब बुलंदी पर पहुंच चुका है। नौजवानों की निराशा-हताशा में खुदकुशी और गुस्सा भी रह-रह कर फूटता रहा है और हाल के कई जनादेशों में उसका असर भी दिखा है। फिर भी जैसे आश्वासनों के अलावा कुछ हासिल नहीं होता। हाल के बवंडर के उठने का वक्त तो मानो मौजूदा जनादेश के साथ जुड़ गया या जोड़ दिया गया। नीट-यूजी के नतीजे तय समय से दस दिन पहले उसी चार जून को जारी किए गए, जब जनादेश में राजनैतिक पार्टियों की संख्या का ग्राफ आकाश-पाताल का खेल खेल रहा था (परीक्षा नतीजों की तय अवधि 14 जून को थी)। शायद इसीलिए सड़क से संसद तक हर बार से कुछ ज्यादा हंगामा बरपा है। 18वीं संसद के पहले ही विशेष सत्र में विपक्ष हमलावर था और अपनी मजबूत ताकत के बल पर राष्ट्रपति अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव से पहले ही परीक्षा घोटालों पर चर्चा के लिए काम रोको प्रस्ताव ले आया। ऐसा पहली बार था। मौका नहीं मिला तो उसने सरकार को घेरने के लिए धन्यवाद प्रस्ताव को अपना औजार बनाया। सरकार ने हाल में लाए सख्त कानून की दुहाई दी, जिसमें पर्चा लीक और किसी भी तरह की धांधली के लिए उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान है, मगर विपक्ष जवाबदेही और व्यवस्था परिवर्तन की मांग कर रहा था।
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शहरनामा - बेलगावी
दो नाम सुन कर आपको आश्चर्य होता है। क्यों? आपके दो नाम होते हैं, सो मेरे भी हैं, बेलगाम और बेलगावी।
जय जय श्रीजेश!
भारतीय हॉकी के गौरव में इजाफा करने वाले दिग्गज गोलकीपर की प्रेरणादाई खेल यात्रा पर एक नजर
"संसाधनों की लूट रोकूंगा"
पिछले मानसून में भीषण तबाही झेलने के बाद इस जुलाई के अंत में फिर आई विनाशक बाढ़, बादल फटने की घटनाओं और उसकी वजह से हुआ जानमाल का नुकसान हिमाचल प्रदेश के लोगों के लिए दोहरा सदमा साबित हुआ है। ये घटनाएं स्पष्ट वैज्ञानिक साक्ष्य हैं कि किस तरह ना हिमालयी क्षेत्र को जलवायु परिवर्तन और इनसानी गतिविधियां प्रभावित कर रही हैं। सूबे के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू भी इस बात को अब मान रहे हैं कि इलाके में गर्मी अपेक्षा से ज्यादा तेजी से बढ़ती जा रही है, जिसके चलते वनक्षेत्र में कमी आ रही है, हिमनद पिघल रहे हैं और बादल फटने, बाढ़ और भूस्खलन जैसी घटनाएं अक्सर सामने आ रही हैं। राज्य में टिकाऊ वृद्धि के समक्ष जलवायु संबंधी इन खतरों और चुनौतियों के मद्देनजर वे 2026 तक हिमाचल को 'हरित प्रदेश' बनाने की बात करने लगे हैं। उन्होंने 2032 तक राज्य को आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनाने की भी बात की है। शिमला में आउटलुक के अश्वनी शर्मा के साथ इन मसलों पर उनसे हुई बातचीत के अंश:
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बलात्कार का समाज-शास्त्र
बलात्कार की एक और घटना ने इस बार फिर लोगों को उद्वेलित किया लेकिन क्या अपराध रोकने के लिए इतना काफी
यौनाचार के आरोप
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बलात्कार की 'सत्ता'
बलात्कार और यौन हिंसा के मामलों में दंड की दर हर दशक में लगातार घटती रही है, ऐसे अपराधों पर प्रतिक्रिया और इंसाफ देने में राज्य लगातार नाकाम होता गया है
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कितना चटकेगा चंपाई रंग
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नई नीति का तोहफा
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