कालजयी हिंदी फिल्म, गाइड (1965) में, उदयपुर का सबसे लोकप्रिय पर्यटक गाइड राजू (देव आनंद) गहन परिवर्तन से गुजरता है। भगवा वस्त्र में भूख से बेहाल साधु के रूप में वह अपने गांव में सूखा खत्म करने के लिए एक पुराने मंदिर के खंडहरों में बैठा है। खुद के साथ उसका एक आंतरिक संवाद चल रहा है, ‘‘जहां अपने आप सिर झुक जाते हैं, उस पत्थर को भी भगवान का रूप मान लिया जाता है। जिस जगह को देखकर परमात्मा की याद आए, वो तीर्थ कहलाता है और जिस आदमी के दर्शन से परमात्मा में भक्ति जागे वो महात्मा कहलाता है।’’
लोगों की गहरी भक्ति से उपजी समझ से परिपूर्ण ये पंक्तियां भौतिक लालच से प्रेरित जीवन के बाद राजू की अप्रत्याशित आध्यात्मिक यात्रा को नया आकार देती हैं। बहुभाषी, जुनूनी, उत्साह के साथ पर्यटकों को शहर के दर्शनीय स्थल दिखाने वाला उदयपुर का सबसे अधिक मांग वाला टूर गाइड एक दिन आध्यात्मिक रूप से खाली लोगों के लिए शांत, निष्पक्ष मार्गदर्शक के रूप में बदल जाता है।
गाइड दुर्लभ फिल्म थी, जिसने न केवल आस्था और धार्मिकता के मामलों पर सौम्यता से बात की, बल्कि भारतीय संदर्भ में साधुओं के चित्रण के प्रति दया भाव भी दिखाया। हालांकि, पिछले कुछ दशकों में, भारतीय सिनेमा में बाबा संस्कृति और उनके अनुयायियों को जिस तरह दिखाया गया, उससे कहीं से भी न्यायोचित नहीं कहा जा सकता।
भारतीय फिल्मों का, विभिन्न क्षेत्रों और भाषाओं से हटकर, धर्म के साथ एक विवादास्पद रिश्ता रहा है। भारतीय समाज में गहरी जड़ें जमा चुकी बाबाओं की संस्कृति अक्सर इन फिल्मों के लिए धर्म की अवधारणा और उसकी पहुंच में मध्यस्थता का एक तरीका रही है। इस जुड़ाव के बारे में दिलचस्प बात यह है कि कैसे संस्कृति का बोध कराने वाली भक्ति और पौराणिक विषयों पर आधारित फिल्मों से शुरू हुआ भारतीय सिनेमा, आज उस बिंदु पर पहुंच गया है, जहां बाबाओं को ठग के रूप में दिखाना आम बात हो गई है। यह आश्चर्यजनक है कि यह स्थिति अभी भी बनी हुई है, जबकि वास्तविक जीवन के बाबाओं और देवियों, संतों और चमत्कार दिखाने वालों के लिए बाजार में अभी भी बहुत संभावनाएं बची हुई हैं। तब सवाल उठता है कि रील और रियल के बीच इतना विरोधाभास आखिर बना कैसे रहता है?
This story is from the August 19, 2024 edition of Outlook Hindi.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Sign In
This story is from the August 19, 2024 edition of Outlook Hindi.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Sign In
हिंदी सिनेमा में बलात्कार की संस्कृति
बलात्कार की संस्कृति को हिंदी फिल्मों ने लगातार वैधता दी है और उसे प्रचारित किया है
कहानी सूरमाओं की
पेरिस में भारत के शानदार प्रदर्शन से दिव्यांग एथलीटों की एक पूरी पीढ़ी को आगे बढ़ने की प्रेरणा मिली
शेखपुर गुढ़ा की फूलन देवियां
शेखपुर गुढ़ा और बेहमई महज पचास किलोमीटर दूर स्थित दो गांव नहीं हैं, बल्कि चार दशक पहले फूलन देवी के साथ हुए अन्याय के दो अलहदा अफसाने हैं
महाशक्तियों के खेल में बांग्लादेश
बांग्लादेश का घटनाक्रम दक्षिण एशिया के भीतर शक्ति संतुलन और उसमें अमेरिका की भूमिका के संदर्भ में देखे जाने की जरूरत
तलछट से उभरे सितारे
फिल्मों में मामूली भूमिका पाने के लिए वर्षों कास्टिंग डायरेक्टरों के दफ्तरों के चक्कर लगाने वाले अभिनेता आजकल मुंबई में पहचाने नाम बन गए हैं, उन्हें न सिर्फ फिल्में मिल रही हैं बल्कि छोटी और दमदार भूमिकाओं से उन्होंने अपना अलग दर्शक वर्ग भी बना लिया
"संघर्ष के दिन ज्यादा रचनात्मक थे"
फिल्म गैंग्स ऑफ वासेपुर के लगभग सभी कलाकार आज बड़े नाम हो चुके हैं, लेकिन उसके जरिये एक्टिंग की दुनिया में कदम रखने वाले फैसल मलिक के लिए संघर्ष के दिन कुछ और साल तक जारी रहे। बॉलीवुड में करीब 22 साल गुजारने वाले फैसल से राजीव नयन चतुर्वेदी की खास बातचीत के संपादित अंश:
ग्लोबल मंच के लोकल सितारे
सिंगल स्क्रीन सिनेमाहॉल का दौर खत्म होने और मल्टीप्लेक्स आने के संक्रमण काल में किसी ने भी गांव-कस्बे में रह रहे लोगों के मनोरंजन के बारे में नहीं सोचा, ओटीटी का दौर आया तो उसने स्टारडम से लेकर दर्शक संख्या तक सारे पैमाने तोड़ डाले
बलात्कार के तमाशबीन
उज्जैन में सरेराह दिनदहाड़े हुए बलात्कार पर लोगों का चुप रहना, उसे शूट कर के प्रसारित करना गंभीर सामाजिक बीमारी की ओर इशारा
कांग्रेस की चुनौती खेमेबाजी
पार्टी चुनाव दोतरफा होने के आसार से उत्साहित, बाकी सभी वजूद बचाने में मशगूल
भगवा कुनबे में बगावत
दस साल की एंटी-इन्कंबेंसी और परिवारवाद, जातिवाद, क्षेत्रवाद जैसे समीकरण साधने के चक्कर में सत्तारूढ़ भाजपा कलह के चक्रव्यूह में फंसी