हिज्बुल्ला के शीर्ष नेता हसन नसरुल्ला की 27 सितंबर को मौत हो गई जब इजरायली वायुसेना के 119वें स्क्वाड्रन के एफ-161 लड़ाकू विमानों ने दक्षिणी बेरूत के बाहरी इलाके दाहिया में कुछ मिनटों के भीतर ही करीब 80 बम (जिनमें अमेरिका के बने 2300 किलोग्राम के बंकर-ध्वंसक भी शामिल थे) गिराए। न्यू यॉर्क टाइम्स के मुताबिक इससे हुए धमाकों में राजधानी के शिया बहुल इलाके हारेतहरीक में छह इमारतें जमींदोज हो गईं। हिज्बुल्ला के नेता यहीं के आवासीय भवनों में स्थित अपने मुख्यालय में उस वक्त बैठक कर रहे थे। दुनिया के सबसे बड़े हथियारबंद गिरोहों में एक हिज्बुल्ला औचक हुए इस हमले से अवाक रह गया। पलट कर विमानों पर हमला करने का उसे कोई मौका ही नहीं मिला।
इजरायली सेना ने इस अभियान को 'न्यू ऑर्डर' नाम दिया था। इस हमले में 33 जानें गईं और करीब 200 लोग जख्मी हुए। नसरुल्ला के साथ अली कराकी भी मारे गए जो हिज्बुल्ला में दक्षिणी सरहद के कमांडर थे। इसके अलावा लेबनान में कुदस के कमांडर और ईरान के इस्लामिक रेवॉल्यूशनरी गार्ड कोर (आइआरजीसी) के डिप्टी कमांडर अब्बास नीलफरोशां की भी इस हमले में मौत हो गई। हिज्बुल्ला के सेक्रेटरी जनरल नसरुल्ला की हत्या को इस इलाके में काम कर रही कई इजरायल-विरोधी ताकतों के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है क्योंकि आइआरजीसी के पूर्व प्रमुख कसीम सुलेमानी की हत्या के बाद नसरुल्ला ही ईरान के महवरउल-मुकवमा (प्रतिरोध की धुरी) का नेतृत्व कर रहे थे। माना जाता है कि इस धुरी के तहत इराक का इस्लामिक रेजिस्टेंस, पॉपुलर मोबिलाइजेशन फोर्स, सीरिया की सरकार, लेबनान का हिज्बुल्ला, यमन के हूथी, हमास और अन्य सशस्त्र फलस्तीनी समूह शामिल हैं।
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