हाल के चुनावों में अप्रत्याशित हार के बाद अब कांग्रेस विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष के चयन को लेकर उलझी हुई है। 8 नवंबर से 15वीं विधानसभा के पहले सत्र में क्या कांग्रेस विधायक दल सदन में बगैर नेता के हाजिर होगा? नेता प्रतिपक्ष को लेकर कांग्रेस आलाकमान पशोपेश में क्यों हैं? कांग्रेस में नेता प्रतिपक्ष पर पेंच क्यों फंसा है? क्या नेता प्रतिपक्ष का चुनाव मुख्यमंत्री चुनने से भी कठिन है? ऐसे तमाम सवाल हरियाणा कांग्रेस ही नहीं, बल्कि सत्तारूढ़ भाजपा के नेता भी सार्वजनिक रूप से कर रहे हैं।
हरियाणा विधानसभा के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि स्पष्ट चुनाव नतीजे के महीना भर बाद भी प्रमुख विपक्षी दल अपने विधायक दल का नेता तय न कर पाया हो। विधानसभा के पूर्व स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता ने आउटलुक से कहा, "हरियाणा की जनता द्वारा लगातार तीसरी बार नकारे जाने की वजह से सदमे में कांग्रेस आलाकमान फैसला लेने की स्थिति में नहीं है। हार से सबक लेने के बजाय गुटबाजी से घिरी हरियाणा कांग्रेस में नेता प्रतिपक्ष के लिए भी मारामारी है।"
This story is from the November 25, 2024 edition of Outlook Hindi.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Sign In
This story is from the November 25, 2024 edition of Outlook Hindi.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Sign In
'वाह उस्ताद' बोलिए!
पहला ग्रैमी पुरस्कार उन्हें विश्व प्रसिद्ध संगीतकार मिकी हार्ट के साथ काम करके संगीत अलबम के लिए मिला था। उसके बाद उन्होंने कुल चार ग्रैमी जीते
सिने प्रेमियों का महाकुंभ
विविध संस्कृतियों पर आधारित फिल्मों की शैली और फिल्म निर्माण का सबसे बड़ा उत्सव
विश्व चैंपियन गुकेश
18वें साल में काले-सफेद चौखानों का बादशाह बन जाने वाला युवा
सिनेमा, समाज और राजनीति का बाइस्कोप
भारतीय और विश्व सिनेमा पर विद्यार्थी चटर्जी के किए लेखन का तीन खंडों में छपना गंभीर सिने प्रेमियों के लिए एक संग्रहणीय सौगात
रफी-किशोर का सुरीला दोस्ताना
एक की आवाज में मिठास भरी गहराई थी, तो दूसरे की आवाज में खिलंदड़ापन, पर दोनों की तुलना बेमानी
हरफनमौला गायक, नेकदिल इंसान
मोहम्मद रफी का गायन और जीवन समर्पण, प्यार और अनुशासन की एक अभूतपूर्व कहानी
तुम मुझे यूं भुला ना पाओगे
रफी जैसा बनने में केवल हुनर काम नहीं आता, मेहनत, समर्पण और शख्सियत भी
'इंसानी भावनाओं को पर्दे पर उतारने में बेजोड़ थे राज साहब'
लव स्टोरी (1981), बेताब (1983), अर्जुन (1985), डकैत (1987), अंजाम (1994), और अर्जुन पंडित (1999) जैसी हिट फिल्मों के निर्देशन के लिए चर्चित राहुल रवैल दो बार सर्वश्रेष्ठ निर्देशक के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार के लिए नामांकित हो चुके हैं।
आधी हकीकत, आधा फसाना
राज कपूर की निजी और सार्वजनिक अभिव्यक्ति का एक होना और नेहरूवादी दौर की सिनेमाई छवियां
संभल की चीखती चुप्पियां
संभल में मस्जिद के नीचे मंदिर होने का दावा करने वाली याचिका के बाद हुई सांप्रदायिकता में एक और कड़ी