छह नवंबर को हरियाणा के उकलाना की नई अनाज मंडी में भीखेवाला गांव के किसान रामभगत ने कीटनाशक पीकर आत्महत्या कर ली। मृतक के परिजनों के मुताबिक गेहूं की फसल के लिए डीएपी खाद न मिलने से परेशान रामभगत ने यह कदम उठाया। दो एकड़ की खेती से पत्नी और दो बच्चों के साथ रामभगत के लिए जीवनयापन मुश्किल था। एक दिन बाद पंजाब में पटियाला के गांव नदामपुर के किसान जसविंदर सिंह ने खेत में खुदकशी कर ली। दस दिन से मंडी में पड़ा उसका धान नहीं बिक रहा था। सिंचाई के बाद गेहूं की बुआई के लिए खेत तैयार था लेकिन डीएपी की किल्लत ने पांच लाख रुपये के कर्जदार इस किसान की परेशानी और बढ़ा दी। जसविंदर के बेटे जगतवीर की मानें तो घर की तंगी के चलते उसके पिता आत्महत्या के लिए मजबूर हुए।
आए दिन कई चुनौतियों से जूझते रामभगत और जसविंदर जैसे हालात के मारे सैकड़ों बेबस किसान मौत को गले लगाने पर मजबूर हैं। बरसों पुरानी समस्याएं जस की तस हैं- पराली की आगजनी हो या फसलों की न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद की गारंटी, टिकाऊ समाधान विशेषज्ञों और नीति-निर्धारकों के व्याख्यानों तक सिमटे नजर आते हैं।
इन दिनों पंजाब और हरियाणा की मंडियों में एमएसपी पर किसानों को धान की फसल की बिक्री का इंतजार है। उधर, गेहूं की बुआई के लिए तैयार खेतों को डीएपी खाद की दरकार है। पराली जलाने के आरोपी किसानों की हरियाणा में जमीन जमाबंदी रिकॉर्ड में रेड एंट्री, सरकारी पोर्टल मेरी फसल मेरा ब्योरा के माध्यम से मंडियों में दो साल तक फसल बिक्री और सरकारी योजनाओं के लाभ पर प्रतिबंध, एफआइआर और गिरफ्तारी के बीच केंद्र सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट की हालिया सख्ती के चलते पराली जलाने पर जुर्माना बढ़ाकर दोगुना (30,000 रुपये) करने से किसानों की परेशानी और बढ़ गई है।
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