युवाओं के सिर चढ़कर बोल रहे पंजाबी गानों के बोलों पर इन दिनों बहस छिड़ी हुई है। ड्रग्स, शराब, हथियार, हिंसा, अश्लीलता और खालिस्तान का महिमामंडन करते इन गीतों पर प्रतिबंध की मांग होने लगी है। 2018 में श्री गुरुनानक देव जी की स्तुति में "आर नानक-पार नानक" जैसे गीत की जबर्दस्त सफलता से अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहचान बनाने वाले दिलजीत दोसांझ पर यह दबाव सबसे ज्यादा है। पिछले दिनों हैदराबाद में हुए एक लाइव कंसर्ट से पहले दिलजीत दोसांझ को तेलंगाना सरकार ने लिखित नोटिस जारी कर 'पटियाला पैग ला छड्डी दा' और 'पंज तारा' जैसे गीत न गाने की ताकीद की लेकिन दोसांझ ने शब्दों का घालमेल कर ये गीत गाए।
इसके बाद दिसंबर में भी चंडीगढ़ में दिलजीत को ऐसी ही स्थिति से दो-चार होना पड़ा, जिसमें उनके कंसर्ट से पहले पंजाब और हरियाणा हाइकोर्ट ने तीन शर्तें लगाईं थी, शो रात 10 बजे तक खत्म करना होगा, ध्वनि 75 डेसिबल से ऊपर न हो और प्रशासन सुरक्षा और ट्रैफिक व्यवस्था करेगा।
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