कई मकान मालिकों का कुंआरे या अकेले रह रहे लोगों को घर किराए पर देने का अनुभव अच्छा होता है. साथ ही, कुंआरे लोगों को किराए पर फ्लैट लेना मालिक के लिए अधिक फायदेमंद होता है क्योंकि वे आपस में खर्चों को विभाजित कर के अधिक भुगतान करने को तैयार होते हैं. लेकिन शहरों में हाउसिंग सोसाइटी अकसर यह नियम बनाती है कि कोई भी मकान मालिक किसी अविवाहित पुरुष या महिला को रूम नहीं देगा.
सोसाइटी वालों को शायद बैचलर्स का बुरा अनुभव है. लड़कियों या लड़कों को लाना, शराब पीना, देररात पार्टी करना या सुरक्षा गार्डों से बहस करना, अपराधी होने का अंदेशा होने आदि बहानों से घर किराए पर देने से रोकते हैं. फ्लैट मालिकों की भी आमतौर पर यह धारणा होती है कि अगर कोई परिवार फ्लैट में रहता है तो वह फ्लैट की बेहतर देखभाल करेगा. इस के अलावा, समाज और पड़ोसियों से कोई शिकायत नहीं होगी.
नतीजतन कई पढ़ेलिखे और अच्छी पार्श्व भूमि के लोग भी जब शहर में शिक्षा या रोजगार के लिए आते हैं तो उन के साथ दुर्व्यवहार और अपमान का बरताव किया जाता है तो सवाल यह उठता है कि अगर समाज की पुलिसगीरी करने वाले लोग यदि उन्हें कई पूर्वाग्रहों के आधार पर रहने नहीं देंगे तो ये लोग कहां जाएंगे? मुंबई, बेंगलुरु, हैदराबाद, पुणे, ठाणे और चेन्नई जैसे शहरों में आने वाले नौकरी के इच्छुक उम्मीदवारों के लिए छात्रावासों की संख्या बहुत कम है और पर्याप्त नहीं है.
क्या यह नियम कानूनी रूप से बाध्यकारी हैं? नहीं. पुलिस सत्यापन और सभी कानूनी दस्तावेज होने पर उन्हें जाति, धर्म, पंथ या लिंग के आधार पर फ्लैट किराए पर लेने से कोई नहीं रोक सकता. सोसाइटी के सदस्यों को नैतिक पुलिसिंग का कोई अधिकार नहीं है. कुछ चुनिंदा लोगों के व्यवहार को मानक मान कर मानदंड नहीं बनाए जा सकते. कानून के सरल शब्दों में, घर का स्वामित्व सोसाइटी के पास नहीं, बल्कि फ्लैट मालिक के पास होता है. इसलिए घर किसे किराए पर वह दे, इस में सोसाइटी अड़ंगा नहीं डाल सकती.
This story is from the October First 2022 edition of Sarita.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Sign In
This story is from the October First 2022 edition of Sarita.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Sign In
निशानेबाजी की 'द्रोणाचार्य' सुमा शिरूर
सुमा शिरूर भारतीय निशानेबाज हैं. वर्तमान में सुमा भारतीय जूनियर राइफल शूटिंग टीम की कोच हैं. सुमा शूटिंग में अब तक कई मैडल जीत चुकी हैं, वहीं उन्हें द्रोणाचार्य पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है.
राज कपूर की 100वीं जयंती ऐसे ही कोई नहीं बन जाता शोमैन
राज कपूर नेहरूवादी सामाजिक सोच को ले कर चल रहे थे लेकिन उन की लगभग हर फिल्म के लेखक ख्वाजा अहमद अब्बास साम्यवादी विचारधारा से प्रेरित थे. यही एक वजह भी है कि राज कपूर की फिल्मों में समाजवादी मिश्रण नजर आया और उन्होंने वर्ग संघर्षों से जनित आम लोगों के सामाजिक बदलावों को परदे पर उतारा.
संतान को ही क्यों दें संपत्ति
राजनीति हो या बिजनैस सही उत्तराधिकारी का चयन ही विरासत को आगे बढ़ाता है. यदि उत्तराधिकारी ढूंढ़ने में लगता है तो समय लगता परिणाम भविष्य में घातक भी साबित होते हैं.
दुर्घटना हो जाए तो
दुर्घटना के बाद सही कदम उठाना आप के और दूसरों के लिए मददगार हो सकता है लेकिन आमतौर पर लोगों को की जानकारी कम होती है कि ऐसी परिस्थिति में वे क्या करें. जानिए यदि रास्ते में दुर्घटना हो जाए तो क्या करें.
मरने के बाद धार्मिक आडंबर के नाम पर लूट
मौत के बाद, बजाय शरीर के खाक होने के, व्यक्ति के साथ क्या होता है इस का कोई प्रमाण नहीं. बावजूद हिंदुओं में मृत्यपरांत धार्मिक कर्मकांड भरे पड़े हैं. इस के केंद्र में पंडे हैं जो दानदक्षिणा का धंधा चलाए रखना चाहते हैं.
अधूरा प्यार
अपने अधूरे को पाने की लालसा एक बार फिर मन में बलवती हो उठी थी. लेकिन रोज ने मुझे ऐसा आईना दिखाया कि उस में अपना चेहरा देख मुझे शर्म आ रही थी.
संकट कटे मिटे सब पीड़ा
गाय रोटी खाएगी तो ग्रह दोष मिटेगा, कुत्ते को खिलाओ तो दुश्मन भागेगा. मेहनत से दूर भागने वालों ने तांत्रिकों को भिखारी से करोड़पति बना दिया है, अरे वाह, यह कैसा खेल है, आप भी पढ़िए.
बीमार न कर दें पसंदीदा फूड
बच्चे तो बच्चे, अब बड़े भी जीभ के गुलाम बन गए हैं जो चटपटे खाने की तरफ दौड़ पड़ते हैं. लेकिन ये फूड्स आप को बीमार भी कर सकते हैं.
वोट ट ने बदली महिलाओं की तसवीर
रामचरितमानस में जिन औरतों को 'ताड़न की अधिकारी' बता कर वर्ण व्यवस्था का शिकार बनाया गया, वोट व्यवस्था में वही औरतें चुनावी जीत का आधार बन कर वर्ण व्यवस्था पर करारी चोट कर रही हैं.
घर खरीदने से पहले
अपना घर अपना ही होता है, भले छोटा ही हो. कई बार हम घर खरीदते समय ऐसी लापरवाहियां कर बैठते हैं जो बाद में दिक्कत देती हैं. आज के समय में घर खरीदते समय सावधानियां बरतना बहुत जरूरी है.