
पूरे घर में अपने कमरे से हर किसी, खासतौर से युवाओं को जरूरत से ज्यादा लगाव होना कुदरती बात है. अपने कमरे के बाहर जिंदगी कई हिस्सों में बंटी रहती है जिस में कुछ दबाव भी होते हैं. लेकिन हम जब अपने कमरे में होते हैं तो इस छोटे से एरिया में बहुत बड़ी आजादी और सुकून का एहसास होता है. दीवाली का त्योहार साफसफाई के लिए भी मुफीद है जिस के बारे में कहा जा सकता है कि मौसम भी है, मौका भी है और दस्तूर भी है.
बारिश नमी छोड़ जाती है जिस से नजात पाने के लिए सर्दी की शुरुआत में ही कमरा साफ कर लेना एक अच्छे स्वास्थ्य की गारंटी है. दीवाली के दिनों में हर कोई साफसफाई और रंगरोगन में व्यस्त रहता है तो आप क्यों चूकें? एक दिन अपने कमरे को दीजिए, उसे दिल से चमकाइए और सालभर का कूड़ाकरकट निकाल बाहर फेंकिए. यह बहुत आसान है और दिलचस्प भी कि अगर आप अपने तरीके से रहना पसंद करते हैं तो उसे संवारिए भी अपने ही तरीके से ताकि बाकी चमकते घर से आप का कमरा उन्नीस न लगे.
इस के लिए पहले तो अपने कमरे को चमकाने की जिम्मेदारी खुद लीजिए और फिर एक बार उस का बारीकी से मुआयना कर जुट जाइए कि क्याक्या करना है और कैसे करना है. आमतौर पर बैडरूम अब बहुत बड़े नहीं होते हैं, इन का औसत आकार 10x12 वर्ग फुट का होता है जिसे चमकाने में न ज्यादा लागत आती है और न ही मेहनत ज्यादा लगती है.
This story is from the October Second 2022 edition of Sarita.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Sign In
This story is from the October Second 2022 edition of Sarita.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Sign In

भाभी, न मत कहना
सुवित को अपने सामने देख समीरा के होश उड़ गए. अपने दिल को संभालना मुश्किल हो रहा था उस के लिए. वक्त कैसा खेल खेल रहा था उस के साथ?

शादी से पहले जब न रहे मंगेतर
शादी से पहले यदि किसी लड़की या लड़के की अचानक मृत्यु हो जाए तो परिवार वालों से अधिक ट्रौमा उस के पार्टनर को झेलना पड़ता है, उसे गहरा आघात लगता है. ऐसे में कैसे डील करें.

पति की कमाई पर पत्नी का कितना हक
पति और पत्नी के बीच कमाई व खर्चों को ले कर कलह जब हद से गुजरने लगती है तो नतीजे किसी के हक में अच्छे नहीं निकलते. बात तब ज्यादा बिगड़ती है जब पति अपने घर वालों पर खर्च करने लगता है. ऐसे में क्या पत्नी को उसे रोकना चाहिए?

अमीरों के संरक्षण व संवर्धन की अभिनव योजना
गरीबों के लिए तो सरकार कई योजनाएं बनाती है लेकिन गरीबों का उद्धार करने वाले अमीरों को क्यों वंचित किया जाए उन के लग्जरी जीवन को और बेहतर बनाने से. समानता का अधिकार तो भई सभी वर्गो के लिए होना चाहिए.

अब वक्फ संपत्तियों पर गिद्ध नजर
मुसलिम समाज के पास कितनी वक्फ संपत्ति है और उसे किस तरह उस से छीना जाए, मसजिदों पर पंडों पुजारियों को कैसे बिठाया जाए, इस को ले कर लंबे समय से कवायद जारी है. इस के लिए एक्ट में संशोधन के बहाने भाजपा नेता जगदम्बिका पाल की अध्यक्षता में जौइंट पार्लियामेंट्री कमेटी का गठन किया गया, जिस में दिखाने के लिए कुछ मुसलिम नेता तो शामिल किए गए लेकिन उन के सुझावों या आपत्तियों पर कोई ध्यान नहीं दिया गया.

घर में ही सब से ज्यादा असुरक्षित हैं औरतें
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट यह स्पष्ट रूप से बताती है कि महिलाओं के लिए घर ही सब से असुरक्षित स्थान बन चुका है. इस असुरक्षा का समाधान समाज और सरकार की ओर से समग्र दृष्टिकोण अपनाने से ही संभव हो सकता है.

मेहमान बनें बोझ नहीं
घर में मेहमान आते हैं तो चहलपहल बनी रहती है. लेकिन मेहमान अगर मेहमाननवाजी कराने के लिए आएं तो मेजबान के पसीने छूट जाते हैं और उसे चिड़चिड़ाहट होने लगती है. ऐसे में जरूरी है कि मेहमान कुछ एथिक्स का ध्यान रखें.

कहां जाता है दान का पैसा
उज्जैन के महाकाल मंदिर दर्शन घोटाले की एफआईआर अभी दर्ज ही हो रही थी कि नई सनसनी वृंदावन के इस्कौन मंदिर से आई कि वहां भी एक सेवादार करोड़ों का चूना लगा कर भाग गया. ऐसी खबरें हर उस मंदिर से आएदिन आती रहती हैं जहां भक्तों की भीड़ उमड़ती है. जाहिर है, यह भीड़ भगवान को पैसा चढ़ाने ही आती है जिसे मंदिर के सेवादार झटक लें तो हैरानी किस बात की.

मुफ्त में मनोरंजन अफीम की लत या सिनेमा की फजीहत
बौलीवुड की अधिकतर फिल्में बौक्स ऑफिस पर लगातार असफल हो रही हैं. ऐसा क्यों हो रहा है, इस पर विचार करने की जगह यह इंडस्ट्री चुनावी नेताओं की तरह बीचबीच में फ्रीबीज की घोषणा कर देती है. इस से हालात क्या सुधर सकते हैं?

जिंदगी अभी बाकी है
जीवन का सफर हर मोड़ पर नए अनुभव और सीखने का मौका देता है. पार्टनर का साथ नहीं रहा, बढ़ती उम्र है, लेकिन जिंदगी खत्म तो नहीं हुई न. इस दौर में भी हर दिन एक नई उमंग और आनंद से जीने की संभावनाएं हैं.