हम और आप इनकार नहीं कर सकते कि आज से कुछ साल पहले एकदूसरे तक संदेश पहुंचाने के लिए पत्र लिखा करते थे. वे संदेश या तो प्रेम का इजहार करने वाले, शादी, मृत्यु के समाचार, बधाई देने वाले, माफी मांगने वाले या फिर हालचाल जानने के लिए हो सकते थे. लेकिन जब से हम ने इंटरनैट की दुनिया में कदम रखा है, संदेश भेजने के तरीके में काफी बदलाव आ चुका है.
अब हम किसी भी प्रकार के संदेश को पहुंचाने के लिए व्हाट्सऐप, फेसबुक, ईमेल आदि का उपयोग कर रहे हैं. पत्रों की दुनिया से काफी दूर हो गए हैं. ऐसे में क्या हमें आज भी पत्र लिखना चाहिए या फिर इस नए जमाने की आधुनिक तकनीक का उपयोग करना चाहिए. आखिर दोनों में क्या अंतर है? क्या हमें आज के तकनीक युग में भी पत्र लिखना चाहिए? यदि हां तो क्या हैं इस के फायदे?
भला इंटरनैट और मोबाइल के जमाने में पत्र लिखने का क्या काम, लेकिन याद रहे कई बार कुछ बातें हम किसी को सामने से कहने में डरते हैं या अपनेआप को असहज महसूस करते हैं या किसी से प्यार हो जाता है, आत्मविश्वास डगमगा रहा हो, किसी से शिकायत हो या गुस्सा आए, बच्चों को समझाइश देनी हो, तब पत्र से अच्छा कोई माध्यम हो ही नहीं सकता.
पत्र लिखना एक कला है. इस में हम हमारी भावनाओं और विचारों को शब्दों के जरिए लिखते हैं, पत्रों के माध्यम से हम अपनी बातों को लिख कर दूसरों तक पहुंचा सकते हैं व अपने शब्दों के जादू से अपने भावों को आसानी से व्यक्त कर सकते हैं.
ऐसा होता है कि-
किसी से प्यार हो जाता है : यदि आप आज की डिजिटल दुनिया में व्हाट्सऐप, ईमेल का उपयोग करेंगे तो हो सकता है आप केवल 'आई लव यू' लिखेंगे और प्यार वाले इमोजी सैंड कर देंगे. लीजिए हो गया प्यार का इजहार. लेकिन यदि आप प्यार के इजहार के लिए पत्र लिखेंगे तो यकीन मानिए, आप अपनी भावनाएं बहुत अच्छे से उन तक पहुंचा पाएंगे और आप के द्वारा लिखे हुए शब्द उन पर गहरा असर डालेंगे क्योंकि कई बार डिजिटल मीडिया हमारे मन के ऊपर वह प्रभाव नहीं डाल पाता है जो एक लिखा हुआ पत्र डाल देता है. जब आप किसी को पत्र लिखते हैं तो दिल की गहराइयों से और बहुत सोचसमझ कर लिखते हैं और कुछ शब्द हमारे दिल में हमेशा के लिए बस जाते हैं.
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"पुरुष सत्तात्मक सोच बदलने पर ही बड़ा बदलाव आएगा” बिनायफर कोहली
'एफआईआर', 'भाभीजी घर पर हैं', 'हप्पू की उलटन पलटन' जैसे टौप कौमेडी फैमिली शोज की निर्माता बिनायफर कोहली अपने शोज के माध्यम से महिला सशक्तीकरण का संदेश देने में यकीन रखती हैं. वह अपने शोज की महिला किरदारों को गृहणी की जगह वर्किंग और तेजतर्रार दिखाती हैं, ताकि आज की जनरेशन कनैक्ट हो सके.
पतिपत्नी के रिश्ते में बदसूरत मोड़ क्यों
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शादी से पहले बना लें अपना आशियाना
कपल्स शादी से पहले कई तरह की प्लानिंग करते हैं लेकिन वे अपना अलग आशियाना बनाने के बारे में कोई प्लानिंग नहीं करते जिसका परिणाम कई बार रिश्तों में खटास और अलगाव के रूप में सामने आता है.
ओवरऐक्टिव ब्लैडर और मेनोपौज
बारबार पेशाब करने को मजबूर होना ओवरऐक्टिव ब्लैडर होने का संकेत होता है. यह समस्या पुरुष और महिलाओं दोनों को हो सकती है. महिलाओं में तो ओएबी और मेनोपौज का कुछ संबंध भी होता है.
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सामाजिक असमानता के लिए धर्म जिम्मेदार है क्योंकि दान और पूजापाठ की व्यवस्था के साथ ही असमानता शुरू हो जाती है जो घर और कार्यस्थल तक बनी रहती है.
एमआरपी का भ्रमजाल
एमआरपी तय करने का कोई कठोर नियम नहीं होता. कंपनियां इसे अपनी मरजी से तय करती हैं और इसे इतना ऊंचा रखती हैं कि खुदरा विक्रेताओं को भी अच्छा मुनाफा मिल सके.
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कहीं से कोई पैसा अचानक से मिल जाए या फिर व्यापार में कोई मुनाफा हो तो उन पैसों को घर में खर्चने के बजाय लोन उतारने में खर्च करें, ताकि लोन कुछ कम हो सके और इंट्रैस्ट भी कम देना पड़े.
कनाडा में हिंदू मंदिरों पर हमला भड़ास या साजिश
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अमेरिका अब चर्च का शिकंजा
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