पिछले साल 17 सितंबर को टीवी चैनलों, अखबारों, फेसबुक, ट्विटर पर सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की खबर सुर्खियों में थी. उस दिन उन का जन्मदिन भी था, मगर उस से बड़ी खबर यह थी कि उस दिन मध्य प्रदेश स्थित कूना अभयारण्य में उन्होंने एक मचान पर खड़े हो कर नामीबिया से लाए गए चीते स्वयं पिंजड़े से बाड़े में छोड़े थे और उस के बाद प्रोफैशनल कैमरे से उन चीतों के फोटोग्राफ्स खींचे थे.
6 चीते नामीबिया से भारत हवाई मार्ग द्वारा लाए गए थे. 9 हजार किलोमीटर के सफर के दौरान चीते करीब 10 घंटे तक पिंजड़े में रहे. इस से पहले वे 30 दिनों तक नामीबिया में क्वारंटीन रहे और भारत आने के बाद उन्हें 50 दिनों तक क्वारंटीन में रखा गया. करीब 80 दिन कैद में रहने के बाद इन 6 चीतों में से 2 को प्रधानमंत्री मोदी के हाथों अभयारण्य में छुड़वाया गया.
गौरतलब है कि मोदी सरकार की महत्त्वाकांक्षी चीता परियोजना के तहत इस से पहले भी कई बार कूनो अभयारण्य में चीते ला कर छोड़े गए हैं, इस बात की जांचपरख किए बगैर कि भारत की आबोहवा चीतों को रास आएगी या नहीं या यहां उन के रहने की ठीक व्यवस्था है या नहीं. नतीजा जितना बड़ा इवैंट उतना बड़ा फैल्योर कूनो में अब तक 9 चीतों की मौतें हो चुकी हैं. एक के बाद एक चीते अकाल मौत के मुंह में समाते जा रहे हैं और विशेषज्ञ इन की मौत की वजहें तक नहीं पता कर पा रहे हैं.
सितंबर 2022 के बाद 'प्रोजैक्ट चीता' के तहत फरवरी 2023 में फिर दक्षिण अफ्रीका के हिंडनबर्ग पार्क से 7 नर और 5 मादा चीतों को वायुसेना के विमान से लाया गया. इस के बाद कूनों में मादा चीते ने 4 शावकों को भी जन्म दिया. जिन में से 3 की अब मौत हो चुकी है.
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