क्या तूल पकड़ेगी दलित प्रधानमंत्री की मांग
Sarita|December First 2023
दलित प्रधानमंत्री का मुद्दा उछालना पुराना शिगूफा है. मल्लिकार्जुन खड़गे का नाम प्रधानमंत्री के रूप में धीमी आवाज में आने लगा है. भाजपा के पास राष्ट्रीय स्तर का कोई दलित नेता नहीं है. जाहिर है कांग्रेस यहां आगे दिखती है. हां, शंका यह है कि मल्लिकार्जुन खड़गे भी डा. जगजीवन राम की तरह कहीं सरका न दिए जाएं.
भारत भूषण श्रीवास्तव
क्या तूल पकड़ेगी दलित प्रधानमंत्री की मांग

कांग्रेसी नेता शशि थरूर के बारे में हरेक की अपनी राय हो सकती है जिस का औसत निचोड़ यह निकलेगा कि वे एक सैक्सी और रोमांटिक नेता हैं. यह पहचान दिलाने में भगवा गैंग और समूचे दक्षिणपंथ की पुरजोर कुंठित कोशिशें भी हैं. लेकिन हर कोई यह भी जानता है कि वे एक पर्याप्त शिक्षित बुद्धिजीवी, संभ्रांत और अभिजात्य जमीनी नेता हैं जिन के नाम वैश्विक स्तर के कई सम्मान और रिकौर्ड दर्ज हैं. एक सफल स्थापित लेखक और स्तंभकार भी वे हैं.

भारतीय राजनीति में सक्रिय और स्थापित हुए उन्हें अभी 15 साल भी पूरे नहीं हुए हैं पर इस अल्पकाल में वे अपनी खास पहचान गढ़ने में कामयाब हुए हैं. खासतौर से कांग्रेस की तो वे जरूरत बन चुके हैं. बावजूद इस हकीकत के कि गांधी-नेहरू परिवार के प्रति अंधभक्ति उन में नहीं है लेकिन कांग्रेस के मद्देनजर इस परिवार की जरूरत को वे भी नकार नहीं पाते.

इन्हीं शशि थरूर ने 18 अक्तूबर को एक अमेरिकी टैक कंपनी के दफ्तर के उद्घाटन कार्यक्रम में कहा कि 'इंडिया' गठबंधन 2024 के चुनाव में बहुमत ला भी सकता है. ऐसी स्थिति में कांग्रेस की तरफ से बतौर प्रधानमंत्री राहुल गांधी या मल्लिकार्जुन खड़गे नामांकित किए जा सकते हैं. यह एकाएक यों ही दिया गया वक्तव्य नहीं है बल्कि इसे कांग्रेसी रणनीति का एक हिस्सा ही माना जाना चाहिए जो भविष्य को ले कर काफी उत्साहित है और उस की अपनी ठोस वजहें भी हैं.

एक तरह से शशि थरूर ने एक बार फिर से दलित प्रधानमंत्री की सनातनी मांग को उठाया है, साथ ही, राहुल गांधी का नाम विकल्प के रूप में पेश कर दिया है. अगर कांग्रेस 200 से ऊपर सीटें ले गई तो तय है वह राहुल से कम पर तैयार नहीं होगी और 150 से 180 के बीच रही तो खड़गे का नाम आगे कर देगी. इस में कोई शक नहीं कि 'इंडिया' गठबंधन के सभी दल राहुल गांधी के नाम पर हाथ नहीं उठा देंगे. ममता बनर्जी इन में प्रमुख हैं क्योंकि क्षेत्रीय दलों में उन के पास लोकसभा की सब से ज्यादा सीटें रहने की उम्मीद है.

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