![फिल्म कलाकारों में पैसा कमाने की बढ़ती ललक फिल्म कलाकारों में पैसा कमाने की बढ़ती ललक](https://cdn.magzter.com/1338812051/1723470912/articles/yfyc4qoj51723549267783/1723549567605.jpg)
लगभग 10 वर्ष पहले की बात है. एक बहुत बड़ी फिल्म प्रचार कंपनी से जुड़े पीआरओ ने बताया था कि वह एक फिल्म के प्रमोशन के लिए कुछ कलाकारों के साथ इंदौर गया हुआ था. जब वहां के एक मौल के मालिक को पता चला तो उस ने एक कलाकार से अपने मौल में आने का निमंत्रण दिया, जिस के लिए उस कलाकार ने डेढ़ लाख रुपए मांग लिए. मौल का मालिक 75 हजार रुपए से ज्यादा देने को तैयार न था. किसी तरह पीआरओ ने उस कलाकार को एक लाख रुपए में राजी किया.
जब वह कलाकार मौल में पहुंचा तो मालिक उन्हें अपनी केबिन में ले गया. उस वक्त पीआरओ ने देखा कि उस की केबिन में उस मालिक व कलाकार की एकसाथ 3 तसवीरें पहले से लगी हुई थीं. चाय वगैरह पिलाने के बाद मौल के मालिक ने कलाकार को अपने मौल का एक चक्कर लगवाया और फिर केबिन में पहुंच कर कलाकार को एक लाख रुपए देने के बाद कलाकार से कहा, आप मेरे इसी मौल में पहले भी 3 बार आ चुके हैं. तसवीरें देख लीजिए. पहले हम ने आप को सिर्फ 25 हजार रुपए दिए थे. आज भी आप इतने बड़े स्टार नहीं बने हैं कि आप इतनी बड़ी रकम मांगें.
'यह तो मेरी इच्छा थी कि चौथी बार आप को अपने मौल में बुला कर चाय पिलाऊं और आप के साथ एक तसवीर खिंचवाऊं, इसलिए जब मुझे पता चला कि आप इंदौर में हैं तो मैं ने आप को बुलाया. आप जब अगली बार इंदौर आएंगे तो फिर बुलाऊंगा. मगर यदि अगली बार आप ने ज्यादा धन मांगा तो आप को सदा के लिए भूल जाऊंगा. उस के बाद मैं किसी अन्य कलाकार को बुलाना शुरू कर दूंगा.'
उस मौल के मालिक ने एक लाख रुपए कलाकार को देते हुए जम कर बेइज्जत करते हुए यह भी गिना दिया कि उस की पिछली कौनकौन सी फिल्में बौक्स औफिस पर असफल रहीं और कलाकार अपने पीआरओ के सामने जलील होता रहा. (हम ने जानबूझ कर उस पीआरओ, कलाकार व मौल के मालिक का नाम छिपाया क्योंकि हम दावा नहीं कर सकते कि पीआरओ कितना सच बोल रहा था).
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![मौन का मूलमंत्र जिंदगी को बनाए आसान मौन का मूलमंत्र जिंदगी को बनाए आसान](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/871/1990019/LowUfbRDd1739346630309/1739346915320.jpg)
मौन का मूलमंत्र जिंदगी को बनाए आसान
हम बचपन में बोलना तो सीख लेते हैं मगर क्या बोलना है और कितना बोलना है, यह सीखने के लिए पूरी उम्र भी कम पड़ जाती है. मौन रहना आज के दौर में ध्यान केंद्रित करने की तरह ही है.
![सरकार थोप रही मोबाइल सरकार थोप रही मोबाइल](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/871/1990019/PC285IuYk1739280195789/1739280474981.jpg)
सरकार थोप रही मोबाइल
सरकार द्वारा कई स्कीमों को चलाया जा रहा है. बिना एडवांस मोबाइल फोन और इंटरनैट सेवा की इन स्कीमों का फायदा उठाना असंभव है. ऐसा अनावश्यक जोर क्या सही है?
![सास बदली लेकिन नजरिया नहीं सास बदली लेकिन नजरिया नहीं](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/871/1990019/pg03lBb3y1739281192590/1739281417705.jpg)
सास बदली लेकिन नजरिया नहीं
सास और और बहू को एकदूसरे की भूमिका को स्वीकार करना चाहिए. सास पुरानी परंपराओं का पालन करते हुए बहू को सिखा सकती है और बहू नई सोच व नए दृष्टिकोण से घर को बेहतर बना सकती है.
![अमेरिका में भी पनप रहा ब्राह्मण व बनिया गठजोड़ अमेरिका में भी पनप रहा ब्राह्मण व बनिया गठजोड़](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/871/1990019/s4o9Sj54G1739278764498/1739279348669.jpg)
अमेरिका में भी पनप रहा ब्राह्मण व बनिया गठजोड़
डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह के साथ ही अमेरिका में एक नए दौर की शुरुआत हो चुकी है जिसे ले कर हर कोई आशंकित है कि अब लोकतंत्र को हाशिए पर रख धार्मिक एजेंडे पर अमल होगा.
![किस संतान को मिले संपत्ति पर ज्यादा हक किस संतान को मिले संपत्ति पर ज्यादा हक](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/871/1990019/9JDheV0BY1739279671565/1739280166756.jpg)
किस संतान को मिले संपत्ति पर ज्यादा हक
यह वह दौर हैं जब पेरैंट्स की सेवा न करने वाली संतानों की अदालतें तक खिंचाई कर रही हैं लेकिन मांबाप की दिल से सेवा करने वाली संतान के लिए जायदाद में ज्यादा हिस्सा देने पर वे भी अचकचा जाती हैं क्योंकि कानून में ऐसा कोई प्रावधान ही नहीं है. क्या यह ज्यादती नहीं?
![युवाओं के सपनों के घर पर डाका युवाओं के सपनों के घर पर डाका](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/871/1990019/SzT5OWXW71739279379347/1739279671358.jpg)
युवाओं के सपनों के घर पर डाका
नौकरीपेशा होम लोन ले कर अपने सपनों का आशियाना खरीद लेते हैं. लेकिन यहां समस्या तब आती है जब किसी यूइत में वे लोन नहीं चुका पाते. ऐसे में कई बार उन्हें अपने घर से हाथ धोना पड़ता है.
![मेलजोल के अवसर बुफे पार्टी मेलजोल के अवसर बुफे पार्टी](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/871/1990019/kAkDNoyBV1739280807508/1739281176766.jpg)
मेलजोल के अवसर बुफे पार्टी
बूफे पार्टी में मेहमान भोजन और अच्छे समय का आनंद लेने के साथसाथ सोशल गैदरिंग के चलन को भी जीवित रखते हैं. यह अवसर न केवल खानपान के लिए होता है बल्कि यह लोगों के बीच बातचीत, हंसीमजाक और आपसी विचारों के आदानप्रदान का एक साधन भी है.
![अल्लू अर्जुन को जेल भगवान दोषमुक्त अल्लू अर्जुन को जेल भगवान दोषमुक्त](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/871/1990019/RkxmXuMNk1739280478617/1739280798357.jpg)
अल्लू अर्जुन को जेल भगवान दोषमुक्त
एक तरह के हादसे पर कानून दो तरह से कैसे काम कर सकता है? क्या यह न्याय और संविधान दोनों का अपमान नहीं ?
![ऊंचे ओहदे वालों में अकड़ क्यों ऊंचे ओहदे वालों में अकड़ क्यों](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/871/1971251/jsAA7PQtH1737712505485/1737712993859.jpg)
ऊंचे ओहदे वालों में अकड़ क्यों
कुछ लोगों में अपने रुतबे को ले कर अहंकार होता है. उन्हें लगता है कि उन का ओहदा, उन का पद बैस्ट है. वे सुपीरियर हैं. यह सोच अहंकार और ईगो लाती है जो इंसान के व्यवहार में अड़चन डालती है.
![बंटोगे तो कटोगे वाला नारा प्रधान राष्ट्र बंटोगे तो कटोगे वाला नारा प्रधान राष्ट्र](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/871/1971251/igzsVRgNl1737713300356/1737713410810.jpg)
बंटोगे तो कटोगे वाला नारा प्रधान राष्ट्र
देश नारा प्रधान है. काम भले कुछ न हो रहा हो पर पार्टियां और सरकारों द्वारा उछाले नारों की खुमारी जनता पर खूब छाई रहती है.