मानव शरीर के स्वास्थ्य के लिए कुछ मिनरल्स बहुत जरूरी होते हैं. विटामिन्स और कैल्शियम के बारे में औसतन लोग कुछ न कुछ जानते हैं. पोटैशियम और मैग्नीशियम भी हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी हैं और इन के बारे में अकसर लोगों को ज्यादा पता नहीं होता है.
पोटैशियम : पोटैशियम ऐसा मिनरल है जो शरीर की सामान्य क्रिया के लिए जरूरी है. यह मांसपेशियों के सुचारु रूप से कार्य करने में सहायक होता है. यह सेल्स को पोषक तत्त्व प्राप्त करने में मदद करता है. यह हाई ब्लडप्रैशर यानी हाइपरटेंशन कंट्रोल करता है. शरीर में पोटैशियम लैवल मेंटेन करना हृदय के सेल्स के लिए बहुत जरूरी है.
शरीर में पोटैशियम की कमी को हाइपोक्लेमिया रोग कहते हैं.
हाइपोक्लेमिया के सिम्प्टम्स : पोटैशियम की कमी को हाइपोक्लेमिया कहते हैं. साधारणतया संतुलित भोजन लेते रहने से पोटैशियम की कमी की संभावना नहीं रहती है. अस्थायी रूप से पोटैशियम की कमी के चलते हो सकता है आप को कोई सिम्प्टम न दिखे पर लंबे समय तक इस की कमी के लक्षण आप महसूस कर सकते हैं. इस के मुख्य लक्षण हैं- थकावट कमजोरी, क्रैम्पमांसपेशियों में ऐंठन, कब्ज और एरिथ्मिया (असामान्य हार्ट बीट).
हाइपोक्लेमिया का कारण : शरीर के पाचनतंत्र से हो कर जब पोटैशियम शरीर से ज्यादा बाहर निकल जाता है तब इस की कमी से हाइपोक्लेमिया हो जाता है, जैसे दस्त, उलटी, किडनी या एड्रेनल ग्लैंड्स के ठीक से नहीं काम करने से कुछ दवा लेने पर यूरिन ज्यादा आता हो (डाइयुरेटिक), पसीना ज्यादा आना, फौलिक एसिड की कमी, अस्थमा की दवा, कब्ज की दवा और एंटीबायोटिक के सेवन से खून में कीटोन (एसिड) ज्यादा होने से, मैग्नीशियम की कमी और तंबाकू के सेवन से.
डायग्नोसिस या टैस्ट : शरीर में पोटैशियम के स्तर की जांच के लिए आमतौर पर डाक्टर ब्लड टैस्ट कराते हैं. ब्लड में सीरम पोटैशियम कौन्सेंट्रेशन 3. 5 mmol / L (प्रति लीटर) - 5.1 mmol / L सामान्य माना जाता है. 3. 5 mmol/L से कम होने पर इसे हाइपोक्लेमिया कहा जाता है और 2.5 mmol/L से कम होना घातक माना जाता है.
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