इस वर्ष 20.8 लाख छात्रों ने राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) की परीक्षा दी थी जिसके परिणाम पिछले महीने घोषित कर दिए गए। इस बार परीक्षार्थियों की संख्या पिछले साल की तुलना में 250,000 अधिक थी। सरकारी और निजी मेडिकल कॉलेजों में मेडिकल, डेंटल और आयुष पाठ्यक्रमों को पढ़ने की इच्छा रखने वाले स्नातक छात्रों के लिए इस प्रवेश परीक्षा, नीट में सफल होना इतना आसान नहीं है। कई ऐसी खामियां हैं जिन्हें रोका जा सकता है, वे इस प्रक्रिया को प्रभावित करते हैं।
उदाहरण के लिए, पिछले साल, परीक्षा मई के निर्धारित समय से देरी से हुई थी। अभ्यर्थियों ने आरोप लगाया कि राजस्थान में एक केंद्र ने छात्रों को बायोमेट्रिक्स लिए बिना परीक्षा देने की अनुमति दी गई। राजस्थान में अन्य जगहों पर, छात्रों ने आरोप लगाए कि हिंदी और अंग्रेजी माध्यम के परीक्षार्थी को प्रश्न पत्र के घालमेल के कारण उन्हें दो बार पेपर लिखना पड़ा।
नीट आसान नहीं है और इसमें सफलता पाने वाले लोग आपको यह भी बता सकते हैं कि इसके बाद के वर्ष भी आसान नहीं हैं।
दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के गुरुग्राम के एक संस्थान में प्रैक्टिस कर रहीं 28 वर्षीय डॉक्टर नित्या सिंह (बदला हुआ नाम) का कहना है कि उन्होंने कोटा में कोचिंग और अपनी कॉलेज फीस पर 1 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए। लेकिन एमबीबीएस की डिग्री के बाद उनका वेतन इसका एक हिस्सा भी नहीं है।
वह कहती हैं, 'हम कोचिंग और कॉलेज की फीस पर बहुत पैसा खर्च करते हैं। हमने जो राशि खर्च की है, उसे वसूलने में वर्षों लग जाते हैं।'
この記事は Business Standard - Hindi の July 04, 2023 版に掲載されています。
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