राज्य चुनावों के उत्साहजनक नतीजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार को अब अगले साल होने वाले राष्ट्रीय चुनावों के लिए भी सामाजिक कल्याण योजनाओं पर ध्यान देना जारी रखने के लिए प्रेरित करेंगे और वर्ष 2024-25 के अंतरिम बजट में भी यह नजर आने की संभावना है।
वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) और व्यक्तिगत आयकर संग्रह में तेजी से नरेंद्र मोदी सरकार को नई योजनाओं की घोषणा करने और पीएम-किसान सम्मान निधि, महिलाओं, युवाओं तथा वंचित वर्गों से जुड़ी योजनाओं के आवंटन में वृद्धि करने के साथ ही पेट्रोल और डीजल पर कर में कटौती, मनरेगा के लिए फंड आवंटन बढ़ाने और रसोई गैस सिलिंडर की कीमतों में और कमी करने की गुंजाइश बनाने में मदद मिल सकती है।
अक्टूबर में राज्यों को हस्तांतरित किए जाने से पहले निगम कर, केंद्रीय जीएसटी, केंद्रीय उत्पाद शुल्क और सीमा शुल्क से कर संग्रह में कमी के बावजूद, चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-अक्टूबर के दौरान कुल कर प्राप्तियां करीब 14 प्रतिशत बढ़कर 18.3 लाख करोड़ रुपये रही जो वित्त वर्ष 2023 की इसी अवधि में 16.1 लाख करोड़ रुपये थी। यह वर्ष 2023-24 के केंद्रीय बजट के कर संग्रह में अनुमानित 10.44 प्रतिशत की वृद्धि से अधिक था। चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में जिस तरह से राजकोषीय घाटे को नियंत्रित किया गया उससे सरकार को अंतरिम बजट में जनता के लिए मददगार योजनाओं की घोषणा करने की गुंजाइश मिली।
केंद्र ने चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही के दौरान राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 4.9 प्रतिशत पर सीमित रखा है। बजट में वर्ष 2023-24 के दौरान राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 5.9 प्रतिशत के स्तर पर रहने का अनुमान लगाया गया। पहली तिमाही में राजकोषीय घाटा काफी अधिक, जीडीपी के 6.4 प्रतिशत के स्तर पर था लेकिन दूसरी तिमाही में इसे प्रभावी रूप से नियंत्रित कर 3.5 प्रतिशत तक पहुंचाया गया।
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