स्टार्टअप बंद होने का सिलसिला घटा मगर खतरा नहीं हटा
Business Standard - Hindi|July 08, 2024
पिछले हफ्ते कामकाज समेटने के साथ ही देसी माइक्रो ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म कू स्टार्टअप के 'डेड पूल' (कारोबार समेटने वाले) में शामिल होने वाली नवीनतम कंपनी है। मगर स्टार्टअप बंद होने का सिलसिला इस साल 99.8 फीसदी कम हो गया है।
आर्यमन गुप्ता
स्टार्टअप बंद होने का सिलसिला घटा मगर खतरा नहीं हटा

निवेशकों का कहना है कि पिछले कुछ वर्षों में स्टार्टअप बंद होने का सिलसिला सफाई करने के लिए जरूरी था और फर्मों के संस्थापक अब अपने कामकाज का गणित सुधारने में लग गए हैं। मगर स्टार्टअप की दुनिया अभी संकट से पूरी तरह बाहर नहीं निकली है क्योंकि 'जॉम्बी' स्टार्टअप नया खतरा बन रही हैं। जॉम्बी स्टार्टअप वह होती है, जिसे चलाने के लिए पैसा बहुत लगता है मगर आमदनी बेहद कम होती है।

एक प्रमुख निवेशक ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर बताया, 'संस्थापकों को तय करना होगा कि उनका कारोबारी मॉडल पहले दिन से ही कारगर हो। दूसरे के कारोबारी मॉडल की 'नकल' करके बनाई गई कू जैसी कंपनियों के पास कुछ अलग नहीं है और ऐसी कंपनियां भारत जैसे बाजार में नहीं टिक सकतीं। बाजार बहुत बेरहम होता है और उसे आलस बरदाश्त नहीं।'

कू के अलावा निकी, जिपगो फ्रंटरो और ग्रामफैक्टरी जैसी स्टार्टअप भी पिछले साल बंद हो गईं।

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