कोचिंग सेंटरों के साथ-साथ आम बच्चों के घरों में यह कहावत आम है कि 'एक बार आईआईटी चले जाओ, लाइफ सेट है।' मगर कई लोग अब इस पर भी सवाल उठा रहे होंगे। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) में दाखिला होना उतना भी आसान नहीं है। इस साल संयुक्त प्रवेश परीक्षामुख्य (जेईई-मेन) में 14, 15, 110 छात्र शामिल हुए थे, लेकिन 2 फीसदी से भी कम बच्चों को दाखिला मिल सका। कहा जाता है कि आईआईटी में दाखिला अमेरिका के प्रसिद्ध मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) की तुलना में भी कठिन है।
मगर अब हालिया घटनाक्रम को देखने पर ऐसा प्रतीत होता है कि आईआईटी से स्नातक हो जाना ही सभी के लिए सफल होने की निशानी नहीं है। हजारों छात्र कैंपस प्लेसमेंट में नौकरी पाने के लिए संघर्ष करते हैं।
मई महीने के अंत में आईआईटी कानपुर से केमिकल इंजीनियरिंग करने वाले धीरज सिंह ने सूचना का अधिकार (आरटीआई) के तहत आवेदन दायर कर आईआईटी, खड़गपुर से पिछले तीन शैक्षणिक वर्षों के दौरान प्लेसमेंट का आंकड़ा मांगा। जून में संस्थान ने बताया कि साल 2021-22 में प्लेसमेंट के लिए पंजीकृत 2,256 छात्रों में से 1,615 को नौकरी मिली, जो कुल आंकड़े का 71.5 फीसदी होता है। उसके अगले साल यानी साल 2022-23 में 2,490 छात्रों ने कैंपस प्लेसमेंट के लिए अपना पंजीकरण कराया था मगर उनमें से 67.2 फीसदी यानी 1,675 छात्र ही नौकरी हासिल करने में सफल हो सके जबकि पिछले साल यानी 2023-24 में 2,660 पंजीकृत छात्रों की तुलना में महज 58.7 फीसदी यानी 1,564 छात्रों को कंपनियों ने अपने यहां नौकरी पर था। हालांकि, जवाब में यह भी कहा गया था कि प्लेसमेंट की प्रक्रिया जारी है।
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खनिज रॉयल्टी आदेश पर याचिका खारिज
उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को एवं खनिज उपयोग खनन गतिविधियों से जुड़े मामले में केंद्र एवं अन्य की समीक्षा याचिकाएं निरस्त कर दी। इन याचिकाओं में 25 जुलाई को उच्चतम न्यायालय से उसी के एक आदेश की समीक्षा का अनुरोध किया गया था, जिसमें राज्यों को उपकर लगाने का अधिकार दिया गया था।
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