एआई पर निर्भरता को लेकर कंपनियों को किया आगाह
गैर-खाद्य मुद्रास्फीति के अनुरूप बने मौद्रिक नीति
वित्त वर्ष 2023-24 के लिए संसद में आज प्रस्तुत आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि 2030 तक सालाना करीब 80 लाख नौकरियां पैदा करने के लिए निजी क्षेत्र का भी साथ लिया जाए। इसके साथ ही कंपनियों को आगाह किया गया कि नौकरियां कम करने के लिए उन्हें आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) जैसी ज्यादा पूंजी निवेश की दरकार वाली प्रौद्योगिकियों पर निर्भर नहीं रहना चाहिए।
मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन और उनकी टीम द्वारा तैयार की गई आर्थिक समीक्षा में अतिरिक्त श्रमबल और कृषि क्षेत्र में रोजगार कम होने के आधार पर अनुमान लगाया गया है कि अर्थव्यवस्था को 2036 तक गैर-कृषि क्षेत्र में हर साल औसतन करीब 90 लाख नौकरियों की जरूरत होगी।
आर्थिक समीक्षा में कॉर्पोरेट क्षेत्र को ताकीद किया गया कि रोजगार सृजन मुख्य रूप से निजी क्षेत्र में होता है और मुनाफा कमाने के मामले में कंपनियों की स्थिति पहले की तुलना में कहीं अच्छी है। इसमें कहा गया है, ‘वित्त वर्ष 2020 और वित्त वर्ष 2023 के बीच मुनाफा चार गुना हो गया है। कंपनियां कई बार मांग कम होने का तर्क देकर निवेश से परहेज करती हैं। श्रम पर पूंजी को तवज्जो देना लंबी अवधि में कंपनियों के विकास की संभावना के लिए नुकसानदायक है।
This story is from the July 23, 2024 edition of Business Standard - Hindi.
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