संसद में सोमवार को पेश आर्थिक समीक्षा 2023-24 में कहा गया है कि अगर भारत पिछले एक दशक के दौरान हुए ढांचागत सुधारों पर पैर जमाता है और अगली पीढ़ी के सुधारों को आगे बढ़ाता है तो मध्य अवधि में देश की अर्थव्यवस्था लगातार 7 प्रतिशत से ऊपर की वृद्धि दर हासिल कर सकती है।
मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन और उनके अर्थशास्त्रियों की टीम की लिखी गई समीक्षा में जोखिमों को समान रूप से संतुलित करते हुए और इस तथ्य को स्वीकार करते हुए कि बाजार की अपेक्षाएं अधिक हैं, 'बहुत सुरक्षित रुप से' अनुमान लगाया गया है कि वित्त वर्ष 2025 में देश की अर्थव्यवस्था 6.5 से 7 प्रतिशत वृद्धि करेगी।
समीक्षा में कहा गया है कि अगर 2024 में भूराजनीतिक टकराव बढ़ता है तो इससे आपूर्ति में व्यवधान और जिंसों के दाम में तेजी आ सकती है जिससे महंगाई का दबाव एक बार फिर बढ़ सकता है और मौद्रिक नीति में नरमी में देरी हो सकती है। डॉलर के प्रवाह पर बुरा असर पड़ सकता है। इसमें कहा गया है, 'इससे रिजर्व बैंक Shah मौद्रिक नीति रुख पर भी असर पड़ सकता है।'
This story is from the July 23, 2024 edition of Business Standard - Hindi.
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