क्या सातवां बजट आपका अब तक का सबसे कठिन बजट था?
ऐसा तो नहीं कह सकती। जुलाई 2019 के बजट में मुझे तैयारी का वक्त ही नहीं मिला था क्योंकि वह महीने की शुरुआत में ही आ गया था। इस बार बजट में अंतरिम बजट को पूरी तरह समाहित करना पड़ा और कई नई बातें भी जोड़ी गईं।
लेकिन गठबंधन की चुनौती पहली बार आपके सामने आई। है न?
इस बार अलग से कोई बोझ नहीं लगा। चुनौती तो हर बार और हर बजट में होती है। लेकिन याद रखें कि कोविड 19 के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी बजट निर्माण प्रक्रिया देखी थी। उससे मुश्किल क्या हो सकता है?… ये राज्य (गठबंधन सहयोगी) भी अपनी जनता की भलाई के लिए काम कर रहे हैं। लेकिन अगर आपके हिसाब से बजट सहयोगियों को केंद्र में रखकर बनाया गया तो मेरा जवाब है, नहीं। क्या बिहार भारत का हिस्सा नहीं है?
बजट बनाते समय आपके दिमाग में क्या घूम रहा था?
राष्ट्रपति जी ने सही कहा था। आर्थिक समीक्षा के दिन प्रधानमंत्री ने भी कहा था कि यह बजट विकसित भारत के लिए दृष्टि तय करने वाला होगा। इसीलिए हमने चार वर्गों – महिला, युवा, किसान और गरीब पर जोर दिया। बजट की धारा इन्हीं चार स्तंभों से होकर बहती है।
रोजगार और इंटर्नशिप की बात करें तो आप निजी क्षेत्र की आपत्तियों का निपटारा कैसे सुनिश्चित करेंगी?
उनके लिए कोई बाध्यता नहीं है।
हां, यह स्वैच्छिक है। फिर भी अधिकारियों के हस्तक्षेप जैसी कुछ दिक्कतें तो हो ही सकती हैं..
नहीं, अधिकारियों का हस्तक्षेप नहीं होगा। कांग्रेस कॉपी-पेस्ट योजनाएं बोल सकती है मगर हम योजनाएं दिमाग से बनाते हैं। हम इसे अधिकार का दर्जा नहीं दे रहे हैं। केंद्र सरकार के तौर पर मेरे पास लोगों को ऐसा करने (रोजगार देने, इंटर्नशिप) के लिए कहने का अधिकार है।
विस्तार से बताएंगी?
This story is from the July 26, 2024 edition of Business Standard - Hindi.
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'बांग्लादेशियों, रोहिंग्याओं की घुसपैठ झारखंड के लिए खतरा'
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को झारखंड में सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के नेतृत्व वाले गठबंधन पर वोट बैंक की राजनीति के लिए बांग्लादेशियों और रोहिंग्याओं की घुसपैठ को संरक्षण देने का आरोप लगाया। मोदी ने कहा कि पड़ोसी देश से आने वाले घुसपैठिए झारखंड के लिए बड़ा खतरा हैं, क्योंकि उनकी वजह से राज्य के संथाल परगना और कोल्हान क्षेत्रों की जनसांख्यिकी बदल रही है।
2 दिन बाद दूंगा इस्तीफा: केजरीवाल
केजरीवाल के इस्तीफा देने की घोषणा को भाजपा ने बताया 'पीआर हथकंडा', विपक्षी दलों ने सराहा
आप युवा हैं और जोखिम ले सकते हैं तो अपनाएं एनपीएस
यूपीएस बनाम एनपीएस
सोशल मीडिया पर बिखरने लगी कन्नौज के इत्र की महक
कोविड महामारी ने ज्यादातर कारोबारों को बुरी तरह हिला दिया मगर कन्नौज के मशहूर इत्र उद्योग के लिए यह आपदा में वरदान की तरह साबित हुआ। यहां इत्र का कारोबार महामारी और लॉकडाउन से प्रभावित तो हुआ मगर उस दौरान नौकरियां जाने या घर के करीब रहने की हूक के कारण कन्नौज लौटे नौजवानों ने ईकॉमर्स और दूसरी तकनीकों का सहारा लेकर इस कारोबार को नया विस्तार दिया है।
पीतल नगरी से पीतल ही छूमंतर
लागत ज्यादा और मार्जिन कम होने के कारण मुरादाबाद के उद्यमी पीतल के बजाय लोहे, स्टील और एल्युमीनियम के उत्पाद बनाने पर दे रहे जोर
बैकिंग प्रणाली में नकदी गिरेगी
इस सप्ताह अग्रिम कर और जीएसटी भुगतान होना है
एनबीएफसी दें कर्ज का ब्योरा
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने चुनिंदा गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) से भाने चुनिंदा उनके कर्ज के बारे में जानकारी मांगी है। यह जानकारी बकाया कर्ज के प्रकार और उन पर लगने वाले सालाना ब्याज से जुड़ी है। जिन सालाना ब्याज दरों का जिक्र इसमें किया गया है उसमें ये दरें 10 प्रतिशत से कम, 10-20 प्रतिशत, 20-30 प्रतिशत, 30-40 प्रतिशत, 40-50 प्रतिशत और 50 प्रतिशत से अधिक हो सकती हैं। बिज़नेस स्टैंडर्ड ने इस बाबत एनबीएफसी को लिखे गए आरबीआई के पत्र की प्रति देखी है।
मजाक नहीं, खाने की वस्तुओं पर जीएसटी की अलग-अलग दरें गंभीर मुद्दा
तमिलनाडु के एक नामचीन रेस्टोरेंट के प्रबंध निदेशक ने कोयंबत्तूर में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से माफी मांगकर राजनीतिक विवाद को जन्म दे दिया है। यदि हम इस मामले के राजनीतिक घटनाक्रम को एक तरफ रख दें तो भी इस घटना ने विभिन्न उत्पादों विशेष तौर पर खाद्य उत्पादों पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की दरों को लेकर अस्पष्टता को एक बार फिर से उजागर किया है।
यूनाइटेड स्पिरिट्स की दो अंकों में वृद्धि
2024-25 की पहली तिमाही में उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन, मजबूती से प्रीमियम उत्पादों का रुख, कर्नाटक में उत्पाद शुल्क में कटौती से देश की सबसे बड़ी शराब निर्माता कंपनी यूनाइटेड स्पिरिट्स को मिला सहारा
नियामकीय, आपूर्ति मसलों का मेडटेक क्षेत्र की वृद्धि पर असर
भारत के 10 अरब डॉलर के मेडटेक (चिकित्सा तकनीक) बाजार और देश में वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनने की क्षमता के बावजूद इस क्षेत्र में कारोबारों को बढ़ाना चुनौतीपूर्ण बना हुआ है। विशेषज्ञ इसके लिए कम विकसित आपूर्ति श्रृंखला, नियामकीय एक जटिलताओं और कौशल की कमी जैसी बाधाओं को वजह मानते हैं।