अगर आपकी वित्तीय स्थिति बदल गई है तो कर व्यवस्था भी बदलें
Business Standard - Hindi|July 29, 2024
आयकर रिटर्न (आईटीआर) दाखिल करते समय करदाता नई कर व्यवस्था और पुरानी कर व्यवस्था के बीच चयन कर सकते हैं। वेतनभोगी करदाताओं के लिए इसमें अधिक लचीलेपन की गुंजाइश है, मगर कारोबार अथवा पेशेवर कार्यों से प्राप्त आय वाले लोगों को नई और पुरानी कर व्यवस्था में बार-बार आने जाने का मौका नहीं मिलता है।
बिंदिशा सारंग
अगर आपकी वित्तीय स्थिति बदल गई है तो कर व्यवस्था भी बदलें

अंतरराष्ट्रीय कर वकील आदित्य रेड्डी ने कहा, 'आईटीआर दाखिल करने की प्रक्रिया के दौरान नई कर व्यवस्था अपने आप चुन ली जाती है। अगर करदाता नई कर व्यवस्था से असंतुष्ट है तो वह दोनों कर व्यवस्थाओं में से अपनी पसंद की व्यवस्था चुनने के लिए फॉर्म 10 आईई जमा कर सकता है।'

दो व्यवस्थाएं

साल 2020-21 से एक नई कर व्यवस्था शुरू की गई थी और बाद में इसे डिफॉल्ट व्यवस्था बना दिया गया। शाश्वत सिंघल ऐंड कंपनी के प्रोपराइटर चार्टर्ड अकाउंटेंट शाश्वत सिंघल ने कहा, 'करदाताओं को आय की गणना करने, कर देनदारी का पता लगाने और अपने लिए फायदेमंद कर व्यवस्था चुनने का विकल्प दिया गया है।'

सिरिल अमरचंद मंगलदास के पार्टनर (कराधान प्रमुख) एसआर पटनायक ने कहा, 'पुरानी कर व्यवस्था में पर्याप्त छूट और कटौती का प्रावधान है जिसका लाभ उठाने से करदाता की कर देनदारी कम हो सकती है। मगर नई कर व्यवस्था में ऐसी छूट और कटौती का प्रावधान नहीं है।' सिंघल ने कहा कि नई कर व्यवस्था के तहत एक निश्चित आय सीमा तक कर की दरें कम रखी गई हैं।

कौन-सी कर व्यवस्था है बेहतर

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