गोल्डन बॉय नीरज चोपड़ा के सिल्वर पदक जीतना, लक्ष्य सेन और अर्जुन बबूता का बहुत कम अंतर से पोडियम तक जाने से चूक जाना, हॉकी टीम के लगातार दूसरी बार कांस्य पदक झटकना, मनु भाकर का एक ओलिंपिक में दो पदक जीतकर नई सनसनी बनना ओर विनेश फोगाट का हर भारतीय घर से भावनात्मक रूप से जुड़ जाना, पेरिस ओलिंपिक में भारतीय दल ने कुछ ऐसी ही सुनहरी कहानियों के साथ अपना सफर पूरा किया है। भारतीय कंपनियां इन ओलिंपिक हीरो की सफलता को भुनाने के लिए लालायित दिख रही हैं।
खेल प्रबंधन फर्म मेडालिन स्पोट्र्स ऐंड एंटरटेनमेंट के सह-संस्थापक वरुण चोपड़ा कहते हैं, 'पेरिस ओलिंपिक से भारतीय खेल मार्केटिंग क्षेत्र में नए खेल सितारे उभर कर सामने आए हैं। इन्हीं के साथ नई संभावनाओं के द्वार भी खुले हैं।' मनु भाकर, नीरज, सेन और हॉकी टीम के कप्तान हरमनप्रीत सिंह का जिक्र करते हुए वह कहते हैं, 'कम से कम एक बायोपिक तो बनने की उम्मीद तो कर ही सकते हैं।'
भाला फेंक में भले ही चोपड़ा दोबारा स्वर्ण पदक नहीं जीत पाए हों और केवल सिल्वर मेडल ही संतोष करना पड़ा हो, भले ही भारतीय शटलर पीवी सिंधु अपनी प्रतिस्पर्धा के शुरू में ही मुकाबले से बाहर हो गई हों, लेकिन ब्रांड विशेषज्ञ अभी भी उनकी ब्रांड वैल्यू को लेकर बहुत आशान्वित हैं। नई दिल्ली में ब्रांड रणनीतिकार शगुन गुप्ता कहती हैं, 'उनकी ब्रांड वैल्यू उनकी जीत से कहीं बढ़कर है। यह ब्रांड वैल्यू इन खिलाड़ियों से जुड़ी बेहतर से बेहतर परिणाम देने की उम्मीदों पर टिकी है।' मेडालिन स्पोर्ट्स के चोपड़ा कहते हैं, 'सिंधु का चोटों से उबर कर दोबारा लड़ने का माद्दा उन्हें कंपनियों की नजर में प्रासंगिक बनाए रखेगा।'
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