आम आदमी पार्टी (आप) के नेता अरविंद केजरीवाल ने भ्रष्टाचार के आरोपों के मामले में इस वर्ष जेल में करीब 154 दिन बिताए लेकिन वह दिल्ली के मुख्यमंत्री का पद छोड़ने के इच्छुक नहीं दिखे। लेकिन तिहाड़ जेल से बाहर आने के बाद रविवार को उन्होंने कहा कि वह दो दिनों में अपने पद से इस्तीफा दे देंगे। उन्होंने दिल्ली में समय पूर्व चुनाव कराने की मांग करेंगे। केजरीवाल ने कहा कि जब तक लोग उन्हें 'ईमानदारी का प्रमाणपत्र' नहीं दे देते, तब तक वह मुख्यमंत्री की कुर्सी पर नहीं बैठेंगे।
दिल्ली विधान सभा का कार्यकाल 23 फरवरी को खत्म होने जा रहा है और अब राष्ट्रीय राजधानी में विधान सभा चुनाव होने में पांच महीने से भी कम समय बचा है। केजरीवाल ने केंद्र से कहा कि महाराष्ट्र के साथ-साथ दिल्ली के भी चुनाव करा दिए जाएं जहां नवंबर में चुनाव होने वाले हैं। उन्होंने कहा कि वह मुख्यमंत्री और मनीष सिसोदिया उपमुख्यमंत्री भी बनेंगे जब नए सिरे से चुनाव होंगे। मनीष सिसोदिया 17 महीने तक कारावास में रहने के बाद अगस्त में जेल से रिहा हुए हैं। सिसोदिया को आबकारी नीति मामले में पिछले महीने जमानत मिली थी। आप ने कहा कि इस हफ्ते नए नेता का चयन किया जाएगा।
केजरीवाल सरकार ने वर्ष 2024-25 के बजट में 18-60 वर्ष की पात्र महिलाओं को 1,000 रुपये का भत्ता देने की घोषणा की है जिसे लागू करने की दरकार होगी। सूत्रों का कहना है कि दिल्ली की वित्त मंत्री आतिशी के जरीवाल की उत्तराधिकारी बनने की प्रबल संभावना है जिन्होंने इस योजना की घोषणा मार्च में की थी।
आबकारी नीति से जुड़े कथित भ्रष्टाचार मामले में शुक्रवार को तिहाड़ जेल से जमानत पर रिहा हुए केजरीवाल ने कहा कि अगले कुछ दिन में आम आदमी पार्टी (आप) के विधायकों की बैठक होगी और पार्टी के एक नेता को मुख्यमंत्री चुना जाएगा।
This story is from the September 16, 2024 edition of Business Standard - Hindi.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Sign In
This story is from the September 16, 2024 edition of Business Standard - Hindi.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Sign In
एफएमसीजी क्षेत्र 5.7 फीसदी बढ़ा
भारत के रोजमर्रा उपभोग में आने वाली वस्तुओं (एफएमसीजी) के क्षेत्र ने जुलाई-सितंबर तिमाही में 5.7 फीसदी की मूल्य वृद्धि दर्ज की और इसकी मात्रात्मक वृद्धि 4.1 फीसदी रही।
पराली जलाई तो दोगुना देना पड़ेगा जुर्माना
दिल्ली-एनसीआर में होने वाले प्रदूषण से निपटने के लिए कदम उठाते हुए केंद्र सरकार ने गुरुवार को पराली जलाने पर जुर्माना राशि को दोगुना कर दिया है।
ट्रंप शासन में व्यापार नीतियाँ होगी सख्त!
अमेरिका में बदलते घटनाक्रम पर भारत व कारोबारियों की बारीक नजर
शहरी खरीदारों के लिए आवास ऋण फाइनेंसिंग का पसंदीदा विकल्प
फाइनेंसिंग के मामले में सभी आय वर्गों के बीच मकान खरीदने के लिए आवास ऋण सबसे पसंदीदा तरीका बनकर उभरा है।
वैश्विक स्मार्टफोन बाजार में भारत का दबदबा
भारत का भारत का स्मार्टफोन बाजार चालू कैलेंडर वर्ष की तीसरी तिमाही में मात्रात्मक इकाई के लिहाज से दुनिया भर में दूसरा और मूल्य के लिहाज से तीसरा सबसे बड़ा बाजार बनकर उभरा है। काउंटर प्वाइंट रिसर्च के अनुमान से यह जानकारी मिली है।
सेकी की निविदाओं में भाग नहीं ले पाएगी आर-पावर
केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के अधीन आने वाले सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (सेकी) ने हाल में नोटिस जारी कर रिलायंस पावर को तीन वर्षों तक अपने किसी भी टेंडर में शामिल होने पर प्रतिबंध लगा दिया है।
उम्मीद है कि आगे चलकर चीजें बेहतर होंगी : नरेंद्रन
वित्त वर्ष 25 की दूसरी तिमाही के दौरान टाटा स्टील के मामले में कई कारक काम कर रहे थे, जैसे ब्रिटेन में पुनर्गठन, कलिंग नगर में विस्तार और बाजार के कमजोर हालात। ऑडियो साक्षात्कार में टाटा स्टील के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्य अधिकारी टीवी नरेंद्रन ने ईशिता आयान दत्त को बताया कि कई तरह से यह सबसे खराब रही, लेकिन तीसरी तिमाही भी चुनौतियों के साथ आई है। प्रमुख अंश....
महिंद्रा का लाभ 35% बढ़ा
विभिन्न क्षेत्रों में कारोबार करने वाले समूह महिंद्रा ऐंड महिंद्रा (एमएंडएम) ने वित्त वर्ष 25 की दूसरी तिमाही के दौरान करोपरांत लाभ (पीएटी) में 35 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है और यह बढ़कर 3,171 करोड़ रुपये हो गया है, जबकि इसका राजस्व 10 प्रतिशत तक बढ़कर 37,924 करोड़ रुपये हो गया।
निराश करता अर्थशास्त्र का नोबेल सम्मान
इस वर्ष अर्थशास्त्र का नोबेल पाने वाले तीनों विद्वानों ने शायद ही ऐसा कुछ बताया, जो हम पहले से नहीं जानते थे। मगर जो उन्होंने नहीं बताया वह बहुत ज्यादा है।
ऋणमाफी की सियासत से बिगड़ रही कर्जदारों की आदत
कुछ महीने पहले आम चुनाव के दौरान एक बड़ा बैंक किसी राज्य में किसानों और सूक्ष्म, लघु और मध्यम औद्योगिक इकाइयों को दिया कर्ज पूरी तरह नहीं वसूल पाया।