मोतीलाल ओसवाल और निप्पॉन इंडिया के निफ्टी 500 मोमेंटम 50 सूचकांक पर आधारित इंडेक्स फंड और एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) के लिए नई पेशकश (एनएफओ) हाल में आई थी। खास तौर पर मोमेंटम रणनीति पर चलने वाले फैक्टर फंड तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं। 'व्हेयर द मनी फ्लो' शीर्षक के तहत मोतीलाल ओसवाल ऐसेट मैनेजमेंट कंपनी (एएमसी) की एक रिपोर्ट के अनुसार, फैक्टर फंड में 2024-25 की अप्रैल से जून तिमाही में 5,000 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश हुआ। इसमें से करीब आधा निवेश मोमेंटम आधारित फंड से आया जिनका प्रदर्शन पिछले एक साल के दौरान अच्छा रहा है।
सबसे पहले यह समझते हैं कि फैक्टर फंड क्या होते हैं ? तो आप यह जानते होंगे कि परंपरागत पैसिव फंड बस किसी इंडेक्स की निगरानी करते हैं, लेकिन फैक्टर आधारित फंड शेयरों के चयन के लिए पूर्व निर्धारित शर्तों पर काम करते हैं। मोमेंटम आधारित फैक्टर फंड ऐसे म्युचुअल फंड होते हैं जो किसी कंपनी के शेयर में उसकी कमाई या कीमत की गति के रुख के आधार पर निवेश करते हैं।
मोतीलाल ओसवाल एएमसी के कारोबार प्रमुख (पैसिव फंड) प्रतीक ओसवाल ने कहा, 'भारत में फैक्टर निवेश तेजी से बढ़ रहा है। फैक्टर फंडों में मोमेंटम सबसे बड़ी और सबसे लोकप्रिय रणनीति है।'
क्या है मोमेंटम रणनीति
This story is from the September 30, 2024 edition of Business Standard - Hindi.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Sign In
This story is from the September 30, 2024 edition of Business Standard - Hindi.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Sign In
त्योहारों पर स्वदेशी उत्पाद खरीदें: मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जनता से संवाद करने के माध्यम रेडियो कार्यक्रम मन की बात के 10 साल पूरे हो गए हैं। प्रत्येक माह के अंतिम रविवार को प्रसारित होने वाले इस कार्यक्रम की इस रविवार को 114वीं कड़ी थी।
चुनाव में हुए वादे पर वादे पर पैसा कहां से आएगा?
जम्मू-कश्मीर चुनाव का कल आखिरी चरण : राजस्व के मोर्चे पर कमजोर स्थिति
जोखिम ज्यादा पर दीर्घावधि में फायदा
मोमेंटम आधारित फैक्टर फंड
कारीगरों की कमी और बढ़ी लागत के बोझ तले दबे भदोही के कालीन
भदोही के कालीन एक जमाने से ही अपनी बारीक बुनाई और नफीस कारीगरी के लिए देश-विदेश में जूझ मशहूर रहे हैं। लेकिन अब उनके सामने दोहरी चुनौती खड़ी हो गई है। यहां का कालीन उद्योग हुनरमंद कारीगरों की कमी से तो अरसे से ही रहा था मगर अब चीन, तुर्किये और बेल्जियम से भी खतरे की घंटी बज रही है। वहां मशीनों से बनने वाले कालीन अंतरराष्ट्रीय बाजार में भदोही के सामने ताल ठोंक रहे हैं।
चावल निर्यात में छट सभी के लिए फायदे का सौदा!
केंद्र ने इसी हफ्ते गैर बासमती चावल के निर्यात से प्रतिबंध हटा दिया और उसकी जगह 490 डॉलर प्रति टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य लगा दिया। कारोबार के सूत्रों के अनुसार इससे केंद्र ने एक तीर से दो शिकार किए। केंद्र सरकार ने यह सुनिश्चित किया कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली में इस्तेमाल होने वाले सस्ते चावल का भारत से निर्यात नहीं हो और दूसरे, चावल की प्रीमियम किस्मों 'सोना मसूरी' और 'गोविंद भोग' के निर्यात में कोई अड़चन भी न रहे।
कुछ क्षेत्रों के लिए खरीद नियम हो सकते हैं सरल
सरकार मेक इन इंडिया कार्यक्रम पर नजर रखते हुए नए और नवोन्मेषी उत्पादों के उत्पादन बढ़ाने के लिए सार्वजनिक खरीद नियम को उदार बनाने पर विचार कर रही है।
डॉलर के मुकाबले मजबूत रहा रुपया यूरो और पाउंड के सामने लड़खड़ाया
कैलेंडर वर्ष 2024 के दौरान अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया करीब-करीब स्थिर रहा है और अब तक महज 0.59 प्रतिशत की गिरावट आई है, वहीं यूरो और पाउंड के मुकाबले रुपये में उल्लेखनीय गिरावट दर्ज की गई है।
पीवीआर आईनॉक्स का प्रदर्शन होगा उम्दा
अगस्त के पहले सप्ताह में निचले स्तर को छूने के बाद से भारत की सबसे बड़ी मल्टीप्लेक्स ऑपरेटर पीवीआर आईनॉक्स (पीवीआर) का शेयर करीब 20 प्रतिशत चढ़ा है। इस दौरान बीएसई सेंसेक्स में 9 प्रतिशत की तेजी आई है।
अगले 5 साल में भारत से निर्यात करने पर विचार
कारफू भारत में क्लस्टर प्रारूप के जरिये विस्तार की योजना बना रही है और क्विक कॉमर्स क्षेत्र में भी उतरने पर विचार कर रही है। कार के अंतरराष्ट्रीय भागीदारी में कार्यकारी निदेशक पैट्रिक लासफार्गेस और अपैरल समूह के मालिक नीलेश वेद ने शार्लीन डिसूजा के साथ खास बातचीत में भारतीय बाजार के लिए फ्रांस की खुदरा क्षेत्र की दिग्गज कंपनी की योजनाओं के बारे में चर्चा की। प्रमुख अंश....
एचयूएल से भी तेज गति से बढ़ रही छोटी एफएमसीजी फर्मों
पिछले सप्ताह यूनिलीवर के मुख्य वित्तीय अधिकारी फर्नांडो फर्नांडिस बर्न्सटीन एनुअल पैन यूरोपियन स्ट्रैटजिक डिसीजंस सम्मेलन में कहा कि यदि भारत में अपनी हैसियत बनाए रखने के लिए वह करोड़ों डॉलर लगाने से भी पीछे नहीं हटेंगे।