भारत जब वैश्विक, क्षेत्रीय और द्विपक्षीय व्यापार वार्ताओं में आगे बढ़ रहा है तब यह समझना भी जरूरी है कि वैश्विक व्यापार रुझानों में बदलाव के साथ ही वैश्विक व्यापार संस्थानों और नियमों के स्वरूप भी बदल रहे हैं। इनमें सबसे जरूरी यह समझना है कि विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) तरजीही व्यापार समझौतों (पीटीए) के 'स्पैगेटी बोल इफेक्ट्स' के कारण कमजोर नहीं पड़ा, जैसा 1990 के दशक में कुछ अर्थशास्त्रियों ने साबित करने की कोशिश की थी। वास्तव में वह कमजोर इसलिए हुआ है क्योंकि अमेरिका ने विवाद सुलझाने वाले उसके केंद्रीय स्तंभ पर चोट की है। स्पैगेटी बोल इफेक्ट कहता है कि कई देशों के बीच व्यापार समझौते होने से क्षेत्र में जटिलता बढ़ जाती है और व्यापार संबंधों की गति धीमी हो जाती है।
तरजीही व्यापार समझौते 2000 के दशक में अहम हो गए, जब किसी वस्तु का उत्पादन अलग-अलग देशों में होने लगा और दूसरे देशों में उसे भेजा जाने लगा। तब व्यापार की बदलती प्रकृति के बीच व्यापार समझौतों के प्रावधानों की गहराई और दायरा भी बढ़ा। इन समझौतों में व्यापार के नए नियम बनाए गए जो बदलते दौर के हिसाब से थे। उस वक्त दोहा वार्ता में डब्ल्यूटीओ के जिन प्रावधानों पर चर्चा चल रही थी वे वैश्विक व्यापार में इस बदलाव के लिए मददगार नहीं थे। डब्ल्यूटीओ इतनी जल्दी नए नियम नहीं बना सकता था, इसलिए देश डब्ल्यूटीओ नियमों के दायरे में रहकर ही तरजीही व्यापार समझौते करने लगे। ये समझौते डब्ल्यूटीओ के जनरल एग्रीमेंट ऑन टैरिफ्स ऐंड ट्रेड (गैट) के अनुच्छेद 24 के दायरे में भी थे।
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केन-बेतवा रिवर लिंक का शिलान्यास
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को मध्य प्रदेश के खजुराहो में एक समारोह के दौरान केन-बेतवा रिवर लिंक परियोजना का शिलान्यास किया।
आप सरकार की योजनाओं से अधिकारियों ने बनाई दूरी
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में आम आदमी पार्टी (आप) सरकार द्वारा हाल में घोषित दो प्रमुख कल्याणकारी योजनाओं पर सियासी बवाल मच गया है।
वरिष्ठ नागरिकों के लिए विशेष आवास बाजार का बढ़ता दायरा
भारत में संपन्न वरिष्ठ नागरिकों की आबादी की तादाद अच्छी खासी है जो रिटायरमेंट के बाद जिंदगी को बेहतर और स्वतंत्र तरीके से बिताना चाहते हैं। ऐसे में इस क्षेत्र में कारोबार के लिए अच्छी संभावनाएं बन रही हैं।
प्रौद्योगिकी से बुजुर्गों की देखभाल
भारत की बढ़ती आबादी के साथ परिवारों और स्वास्थ्य सेवा उद्योग के लिए बुजुर्गों की देखभाल जरूरी होती जा रही है।
2024 में बदल गई दुनिया की तस्वीर
वर्ष 2024 पूरी दुनिया के लिए उठापटक भरा रहा है। अमेरिका में डॉनल्ड ट्रंप के सनसनीखेज चुनाव अभियान और राष्ट्रपति पद पर दोबारा निर्वाचन, पश्चिम एशिया में हमलों और जवाबी हमलों के बीच शांति स्थापित करने के प्रयासों के दरम्यान वैश्विक संबंधों की दिशा और दशा दोनों ही बदल गई। देशों की कूटनीतिक ताकत कसौटी पर कसी गई और दुनिया एक नए इतिहास की साक्षी बन गई।
स्थिरता के साथ कैसे हासिल हो वृद्धि?
वर्ष 2025 में ऐसी वृहद नीतियों की आवश्यकता होगी जो घरेलू मांग को सहारा तो दें मगर वृहद वित्तीय स्थिरता के सामने मौजूद जोखिमों से समझौता बिल्कुल नहीं करें। बता रही हैं सोनल वर्मा
विकास और वनीकरण में हो बेहतर संतुलन
टाइम्स ऑफ इंडिया के दिल्ली संस्करण में 3 दिसंबर 2024 को छपी एक खबर में कहा गया कि राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने ग्लोबल फॉरेस्ट वॉच की एक रिपोर्ट का स्वतः संज्ञान लिया है, जिसमें कहा गया था कि भारत में सन 2000 से अब तक लगभग 23 लाख हेक्टेयर वन नष्ट हो गए।
ड्रिप सिंचाई बढ़ाने के लिए 500 करोड़ के पैकेज की मांग
भारत में 67 प्रतिशत कपास का उत्पादन वर्षा पर निर्भर इलाकों में होता है
अक्टूबर में नई औपचारिक भर्तियां 21 प्रतिशत घटीं
अक्टूबर में ईपीएफ में नए मासिक सबस्क्राइबरों की संख्या मासिक आधार पर 20.8 प्रतिशत घटकर 7 माह के निचले स्तर 7,50,000 पर पहुंच गई है, जो सितंबर में 9,47,000 थी
ग्रीन स्टील खरीद के लिए संगठन नहीं
इस्पात मंत्रालय के ग्रीन स्टील (हरित इस्पात) की थोक खरीद के लिए केंद्रीय संगठन स्थापित करने के प्रस्ताव को वित्त मंत्रालय ने खारिज कर दिया है।