किसी भी क्षेत्र के दिवालिया कानून की तरह ऋणशोधन अक्षमता एवं दिवालिया संहिता, 2016 (आईबीसी) भी लेनदार-देनदार के रिश्तों के इर्द-गिर्द घूमती है। सामान्य भाषा में कहें तो एक लेनदार वह है जिसने पैसे उधार दिए हों जबकि देनदार वह है जिसने पैसे उधार लिए हों। जब देनदार कर्ज चुकाने में नाकाम रहता है तो दिवालिया प्रक्रिया शुरू होती है। जो बात आईबीसी को अलग बनाती है वह है लेनदारों को दो व्यापक श्रेणियों में बाँटना। पहली श्रेणी वित्तीय लेनदारों, मसलन बैंक और वित्तीय संस्थानों की है जो कर्ज देते हैं और अधिकांश मामलों में उस पर ब्याज लेते हैं। दूसरी श्रेणी परिचालन लेनदारों की है जो पैसे नहीं बल्कि वस्तुएँ एवं सेवाएँ उधार देते हैं।
यह वर्गीकरण एक अहम उद्देश्य की पूर्ति करता है: यह दोनों तरह के लेनदारों के अलग-अलग अधिकारों को रेखांकित करता है। दोनों के परिभाषित आर्थिक अधिकार होते हैं और देनदार की परिसंपत्तियों पर उनका दावा होता है। उसके विषय में हम आगे चर्चा करेंगे। अहम अंतर उनके राजनीतिक अधिकारों में होता है: वित्तीय लेनदारों को ऋणदाता समिति में जगह मिलती है जो आईबीसी की प्रक्रिया के दौरान निर्णय लेने वाली प्रमुख संस्था है जबकि परिचालन लेनदारों के साथ ऐसा नहीं है। केवल वित्तीय लेनदारों को ऋणदाता समिति में शामिल करने के पीछे दो तर्क हैं। पहला, प्राथमिक वित्तीय संस्थानों के रूप में इनके पास वह वाणिज्यिक विशेषज्ञता होती है जो देनदारों के भविष्य के बारे में सूचित निर्णय लेने के लिए आवश्यक है। दूसरा, वे अपने कर्ज के पुनर्गठन के लिए बेहतर स्थिति में होती हैं। बहरहाल, वे कर्ज के पुनर्गठन को लेकर बेहतर स्थिति में रहते हैं। इस वर्गीकरण का आधार और अलग-अलग अधिकार देने के पीछे के तर्क भले ही सर्वोच्च न्यायालय ने बरकरार रखे हैं लेकिन उन पर बहस हो सकती है।
This story is from the November 14, 2024 edition of Business Standard - Hindi.
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केन-बेतवा रिवर लिंक का शिलान्यास
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को मध्य प्रदेश के खजुराहो में एक समारोह के दौरान केन-बेतवा रिवर लिंक परियोजना का शिलान्यास किया।
आप सरकार की योजनाओं से अधिकारियों ने बनाई दूरी
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में आम आदमी पार्टी (आप) सरकार द्वारा हाल में घोषित दो प्रमुख कल्याणकारी योजनाओं पर सियासी बवाल मच गया है।
वरिष्ठ नागरिकों के लिए विशेष आवास बाजार का बढ़ता दायरा
भारत में संपन्न वरिष्ठ नागरिकों की आबादी की तादाद अच्छी खासी है जो रिटायरमेंट के बाद जिंदगी को बेहतर और स्वतंत्र तरीके से बिताना चाहते हैं। ऐसे में इस क्षेत्र में कारोबार के लिए अच्छी संभावनाएं बन रही हैं।
प्रौद्योगिकी से बुजुर्गों की देखभाल
भारत की बढ़ती आबादी के साथ परिवारों और स्वास्थ्य सेवा उद्योग के लिए बुजुर्गों की देखभाल जरूरी होती जा रही है।
2024 में बदल गई दुनिया की तस्वीर
वर्ष 2024 पूरी दुनिया के लिए उठापटक भरा रहा है। अमेरिका में डॉनल्ड ट्रंप के सनसनीखेज चुनाव अभियान और राष्ट्रपति पद पर दोबारा निर्वाचन, पश्चिम एशिया में हमलों और जवाबी हमलों के बीच शांति स्थापित करने के प्रयासों के दरम्यान वैश्विक संबंधों की दिशा और दशा दोनों ही बदल गई। देशों की कूटनीतिक ताकत कसौटी पर कसी गई और दुनिया एक नए इतिहास की साक्षी बन गई।
स्थिरता के साथ कैसे हासिल हो वृद्धि?
वर्ष 2025 में ऐसी वृहद नीतियों की आवश्यकता होगी जो घरेलू मांग को सहारा तो दें मगर वृहद वित्तीय स्थिरता के सामने मौजूद जोखिमों से समझौता बिल्कुल नहीं करें। बता रही हैं सोनल वर्मा
विकास और वनीकरण में हो बेहतर संतुलन
टाइम्स ऑफ इंडिया के दिल्ली संस्करण में 3 दिसंबर 2024 को छपी एक खबर में कहा गया कि राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने ग्लोबल फॉरेस्ट वॉच की एक रिपोर्ट का स्वतः संज्ञान लिया है, जिसमें कहा गया था कि भारत में सन 2000 से अब तक लगभग 23 लाख हेक्टेयर वन नष्ट हो गए।
ड्रिप सिंचाई बढ़ाने के लिए 500 करोड़ के पैकेज की मांग
भारत में 67 प्रतिशत कपास का उत्पादन वर्षा पर निर्भर इलाकों में होता है
अक्टूबर में नई औपचारिक भर्तियां 21 प्रतिशत घटीं
अक्टूबर में ईपीएफ में नए मासिक सबस्क्राइबरों की संख्या मासिक आधार पर 20.8 प्रतिशत घटकर 7 माह के निचले स्तर 7,50,000 पर पहुंच गई है, जो सितंबर में 9,47,000 थी
ग्रीन स्टील खरीद के लिए संगठन नहीं
इस्पात मंत्रालय के ग्रीन स्टील (हरित इस्पात) की थोक खरीद के लिए केंद्रीय संगठन स्थापित करने के प्रस्ताव को वित्त मंत्रालय ने खारिज कर दिया है।