बाज़ारों की गति धीमी रही है और इनमें गिरावट जारी है। क्या आपको लगता है कि सुस्ती का यही हाल 2025 में भी रहेगा?
चूंकि विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) आमतौर पर दिसंबर में कारोबार बंद देते हैं। ऐसे में हम घरेलू निवेशकों को आगे आते हुए और बाजार को हाल के निचले स्तर से ऊपर लाने में मदद करते हुए देख सकते हैं। उन्होंने कहा कि 20 जनवरी को नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के कार्यभार संभालने के आसपास उतारचढ़ाव की आशंका है। ऐसे में उछाल अल्पकालिक हो सकता है।
क्या इसका मतलब यह हुआ कि अभी विदेशी पूंजी की और निकासी होगी?
हमारा पक्का विश्वास है कि निवेश प्रवाह (विशेष रूप से पैसिव) 2025 में स्पष्ट तस्वीर साफ होने तक उभरते बाजारों के मुकाबले अमेरिका और विकसित बाजारों में जाएगा। भारत के लिए ट्रम्प की जीत का असर तटस्थ से सकारात्मक होगा जो मुख्य रूप से चीन से संबंधित है। चीन+1 रणनीति निस्संदेह एफडीआई के लिहाज से भारत के अनुकूल होगी। हालांकि, एफपीआई के दृष्टिकोण से बाज़ारों का महंगा मूल्यांकन और आय पर गंभीर दबाव के कारण हमें यह विश्वास है कि विदेशी निकासी शायद जल्द कम नहीं होने वाली।
ऐसे में क्या अगले कुछ महीनों तक नकदी रखना बेहतर होगा?
This story is from the November 25, 2024 edition of Business Standard - Hindi.
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