आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) मानव से निर्देश लेने के बजाय स्वयं अपनी दिशा तय करने लगी है। जानकारी खोजने की आजादी से अब यह निर्णय लेने की आजादी तक पहुँच रही है। महज दो साल पहले आया चैटजीपीटी प्लेटफॉर्म इस्तेमाल करने में आसान है, बात कर सकता है और प्रश्नों के उत्तर दे सकता है। अब यह गूगल की खोज यानी सर्च करने की क्षमता से काफी आगे निकल गया है। दवा, वित्त और युद्ध कौशल जैसे कई क्षेत्रों में कई ताकतवर 'एआई एजेंट्स' उभरे हैं, जिन्हें काम करने के लिए मानवीय मदद की ज़रूरत ही नहीं है। ये एजेंट शब्द, छवि, सेंसर आदि से आसपास का माहौल भांप लेते हैं, सूचना का विश्लेषण करते हैं और तय उद्देश्य के मुताबिक निर्णय लेते हैं। इससे कुछ नैतिक प्रश्न खड़े हो गए हैं। ये एआई एजेंट अपने लक्ष्य कैसे तय करते हैं? उन्हें किन बातों की परवाह होती है? जब ये तकनीक मानव जाति के जीवन की दिशा तय करने लगेगी तो मानव का जीवन कैसा हो जाएगा? हो सकता है कि दुनिया अधिक क्षमता के साथ चले मगर क्या न्याय होगा और एक-दूसरे की फ़िक्र रह जाएगी?
यह पहला मौका नहीं है, जब जीवन आसान बनाने के लिए मानव ने ऐसी तकनीकें ईजाद की हैं। 17वीं सदी में कानूनी जामा पहनने वाला पूँजीवादी कारोबारी संस्थान समाज का आर्टिफिशियल नागरिक है, जिसे मानवों की ही तरह संपत्ति रखने, बोलने की स्वतंत्रता और अन्य नागरिकों (मानव तथा अन्य कंपनियाँ) पर मुकदमे करने का अधिकार दिया गया है। लिमिटेड लायबिलिटी कॉरपोरेशन भी कानून द्वारा गढ़ा गया स्वार्थी नागरिक है, जिसे निवेशकों को कम से कम जिम्मेदारी के साथ प्राकृतिक एवं मानव संसाधनों का जमकर शोषण करने देने के लिए बनाया गया है। कंपनियाँ आरोप लगाती हैं कि पर्यावरण और श्रम से जुड़े कानून कारोबारी सुगमता और मुनाफ़े में अड़चन बन रहे हैं। 'न्यूनतम सरकार, अधिकतम प्रशासन' का उनका विचार असल में सबके निजीकरण का विचार है, जिसमें कंपनियाँ और नागरिक होड़ करेंगे और सबकी डोर 'बाज़ार के अदृश्य हाथ' में होगी।
This story is from the December 27, 2024 edition of Business Standard - Hindi.
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टैक्सी यूजर ने की डार्क पैटर्न की शिकायत
लोकल सर्कल्स का सर्वेक्षण
खिलौनों से इलेक्ट्रॉनिकी तक 10 मिनट में
इस साल भारतीयों का सुविधा और तुरंत डिलिवरी के लिए प्यार बढ़ गया है और उपभोक्ताओं ने किराना के सामान के अलावा मेकअप और खिलौनों से लेकर वैक्यूम क्लीनर तक का ऑर्डर क्विक कॉमर्स प्लेटफॉर्म से किया।
विश्व के नेताओं ने दी मनमोहन को श्रद्धांजलि
देश के उद्योग जगत के दिग्गजों ने भी जताया शोक, उनके योगदान को किया याद
भारत के वाहन उद्योग की बदली तस्वीर
भारतीय ऑटोमोबाइल क्षेत्र में बड़ा दांव खेलने वाले ओसामु सुजूकी हमेशा किए जाएंगे याद
चालू वित्त वर्ष में अब तक प्रमुख जिंसों का निर्यात 5 फीसदी बढ़ा
भारतीय कमोडिटी के निर्यात में अब तेजी देखी जाने लगी है। चालू वित्त वर्ष के पहले 7 महीने में कुल कमोडिटी निर्यात में करीब है। कुछ गैर 5 फीसदी इजाफा हुआ बासमती चावल पर लगे प्रतिबंध से पहले कुल कमोडिटी निर्यात में सुस्ती देखी जा रही थी।
अपतटीय खनिज नीलामी की राह में कई चुनौतियाँ
कुल 13 ब्लॉकों में से गुजरात के तट के पास लाइम स्टोन के तीन जी3 ब्लॉकों में अनुमानित 171.2 करोड़ टन संसाधन मौजूद
सरकारी कंपनियों का सीएसआर पर खर्च 4 साल के उच्च स्तर पर
वित्त मंत्रालय द्वारा जारी सार्वजनिक उद्यमों के ताजा सर्वे के मुताबिक केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (सीपीएसई) का कॉर्पोरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर) पर खर्च वित्त वर्ष 2024 में 19 प्रतिशत बढ़कर 4,911 करोड़ रुपये हो गया है।
आगाज पर चमके 5 कंपनियों के शेयर
शेयरधारकों को सूचीबद्धता पर 18 फीसदी से लेकर 159 फीसदी तक का फायदा हुआ
ईटीएफ, इंडेक्स फंड फोलियो बढ़े
इंडेक्स फंडों और एक्सचेंज-ट्रेडेड फंडों (ईटीएफ) ने 2024 में निवेश खातों में शानदार इजाफा दर्ज किया है। सेक्टोरल और थीमेटिक निवेश के प्रति उत्साह बढ़ने से इन फोलियो में तेजी देखने को मिली। इंडेक्स फंडों में निवेश खाते या फोलियो चालू कैलेंडर वर्ष के दौरान दोगुने होने की ओर हैं जबकि ईटीएफ में फोलियो पहले ही 37 प्रतिशत बढ़ चुके हैं, हालांकि दिसंबर के आंकड़े अभी बाकी हैं। नवंबर में समाप्त 11 महीनों के दौरान पैसिव निवेश खंड में प्रबंधन अधीन परिसंपत्तियां (एयूएम) 23 प्रतिशत बढ़कर 11 लाख करोड़ रुपये हो गईं।
दिसंबर के पहले पखवाड़े में ऋण-जमा 11.5 फीसदी बढ़ा
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा जारी आंकड़ों से पता चलता है कि 13 दिसंबर को समाप्त हुए पखवाड़े में ऋण वृद्धि ने रफ्तार पकड़ी है।