प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की सरकार की ओर से चुनावी साल में गैर-भाजपाई पृष्ठिभूमि के दो नेताओं को 'भारत रत्न' देने के कदम को भाजपा को ऐसे नए क्षेत्रों में मजबूत करने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है, जहां वह कमजोर है। साथ ही इस निर्णय के जरिए यह संदेश देने की भी कोशिश की गई है कि सत्तारूढ़ भाजपा, अपने पूर्ववर्तियों के विपरीत सार्वजनिक जीवन में योगदान को मान्यता देने में संकीर्ण राजनीति नहीं करेगी।
चरण सिंह और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठकूर राजनीतिक मतभेदों के बावजूद वैचारिक साथी थे और दोनों ने एक विचारधारा का समर्थन किया। पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिंह राव आजीवन कांग्रेसी रहे और उन्हें आर्थिक सुधारों का राजनीतिक शिल्पी माना जाता है जिसने देश की दिशा बदल दी। हालांकि, 1996 में सत्ता गंवाने के बाद राव की अपनी पार्टी ने उनके और उनकी विरासत के साथ जो व्यवहार किया उसने उन्हें भाजपा समर्थक हलकों में राव के प्रति सहानुभूति और यहां तक कि सम्मान का भाव पैदा कर दिया।
Diese Geschichte stammt aus der February 10, 2024-Ausgabe von Jansatta.
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