इंदौर नगर निगम में इस समय करोड़ों रुपए के फर्जी भुगतान को लेकर हल्ला मचा हुआ है। इस हल्ले के बीच राइजिंग इंदौर उस पुराने मामले का खुलासा कर रहा है जिसमें ठेकेदार कंपनी को बिना काम किए 80 करोड रुपए का फर्जी भुगतान जारी किया गया। जांच में यह मामला पकड़ा गया और उसके बाद से निगम के 18 इंजीनियरों के खिलाफ विभागीय जांच की जा रही है।
इंदौर नगर निगम को भ्रष्टाचार का समुद्र कहा जाता है तो उसके पीछे कारण यह है कि इस निगम में कोई भी कम पैसा दिए बगैर नहीं होता है। निगम में पद स्थापना पाकर बैठने वाला हर अधिकारी अपने शेष जीवन को सुखमय बनाने की व्यवस्था इंदौर नगर निगम की पद स्थापना के दौरान कर लेता है। यह वही निगम है जिसमें नियम से काम करने के लिए भी पैसा देना आवश्यक है। इस निगम में भ्रष्टाचार ने शिष्टाचार का स्वरूप ले लिया है। हाल ही में 28 करोड़ के फर्जी बिल, भुगतान की प्रक्रिया में पकड़े गए। इसके साथ हल्ला मचा और अब निगम का करोड़ों रुपए का घोटाला निकालकर सामने आ रहा है। इस घोटाले को कोई 150 करोड़ का बता रहा है तो कोई 300 करोड़ का । हकीकत तो यह है कि जमीन को जितना खोदते हैं उतना पानी निकलता है और निगम में जितनी फाइलें निकालेंगे उतना इस घोटाले का स्वरूप बड़ा हो जाएगा।
यह है वह इंजीनियर जिनके खिलाफ चल रही है विभागीय जांच हरभजन सिंह डीआर लोधी संजीव श्रीवास्तव अश्विन जनवदे अनूप गोयल गीता अरोड़ा अनूप ठाकुर मनोज रघुवंशी सुभाष सिंह चौहान सुरेश शर्मा ज्ञानेंद्र सिंह जादौन व अन्य।
नागपुर की एजेंसी ने पकड़ा मामला
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