संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम की धारा 126 के अनुसार गिफ्ट डीड को निरस्त करने की शर्तों को भी स्पष्ट किया गया। जब गिफ्ट डीड दाता द्वारा उपहार प्राप्तकर्ता के पक्ष में निष्पादित किया जाता है, जिसमें उपहार का उद्देश्य निर्धारित किया जाता है। किसी भी आकस्मिकता में इसके निरस्तीकरण के लिए कोई अधिकार सुरक्षित नहीं होता है तो गिफ्ट प्राप्तकर्ता द्वारा गिफ्ट के उद्देश्य की पूर्ति इसे वैध उपहार बनाती है, जिससे यह अपरिवर्तनीय हो जाता है।
इस मामले में अपीलकर्ता-प्रतिवादी ने वर्ष 1983 में खादी लुंगी और खादी यार्न के निर्माण के लिए वादी प्रतिवादी को मुकदमा संपत्ति हस्तांतरित करने के लिए गिफ्ट डीड निष्पादित किया, जिसमें वादी को व्यक्तिगत लाभ के लिए संपत्ति का उपयोग करने से प्रतिबंधित करने की शर्त थी। गिफ्ट डीड में निर्दिष्ट किया गया कि न तो दाता और न ही उनके उत्तराधिकारियों को हस्तांतरण के बाद संपत्ति पर कोई अधिकार रहता है। गिफ्ट दाता की पूर्ण सहमति से दिया गया। डीड पूर्ण था, जिसमें निरस्तीकरण की कोई शर्त नहीं और केवल संपत्ति के इच्छित उपयोग को निर्धारित किया गया।
हालांकि, वर्ष 1987 में अपीलकर्ताप्रतिवादी ने गिफ्ट डीड निरस्त की, जिसे वादी प्रतिवादी ने इस आधार पर कब्जे की वसूली के लिए मुकदमा दायर करके चुनौती दी कि एक बार खादी लुंगी और खादी यार्न की विनिर्माण इकाई स्थापित करके गिफ्ट डीड में निर्धारित उद्देश्य पूरा हो गया। फिर डीड में निरस्तीकरण की किसी भी शर्त की अनुपस्थिति में विलेख निरस्त करने योग्य नहीं होगा।
अपीलकर्ता का तर्क स्वीकार करते हुए न्यायालय ने कहा कि गिफ्ट डीड को तब निरस्त नहीं किया जा सकता, जब गिफ्ट डीड के अंतर्गत ऐसा कोई अधिकार एवं शत सुरक्षित न हो। न्यायालय ने कहा, इसमें कोई संदेह नहीं है। कि वैध रूप से किया गया गिफ्ट कुछ आकस्मिकताओं के अंतर्गत निलंबित या निरस्त किया जा सकता है, लेकिन सामान्यतः इसे निरस्त नहीं किया जा सकता, विशेषकर तब जब गिफ्ट डीड के अंतर्गत ऐसा कोई अधिकार सुरक्षित न हो।
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