महाराष्ट्र की नई शिंदे-फडणवीस सरकार ने हिंदू उत्सवों पर पिछले ढाई वर्ष से लगे प्रतिबंधों को हटा दिया है। प्रतिबंध हटते ही जनता का उत्साह उमड़ पड़ा। हाल ही में राज्य में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर्व पर मनाया जाने वाला दहीहांडी उत्सव को बड़ी ही धूमधाम से मनाया गया । अब जनता को गणेशोत्सव की प्रतीक्षा है। राज्य में गणेशोत्सव (भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी) को दीवाली के बराबर सबसे बड़ा उत्सव माना जाता है।
ठाकरे सरकार का हिन्दू विरोध
उद्धव ठाकरे सरकार ने कोरोना महामारी का हवाला देकर राज्य के सभी धार्मिक स्थल बंद कर दिए थे। पर कोरोना काल में ही ठाकरे सरकार ने सबसे पहले दारू के ठेके खोले। मजहबी स्थल भी उनके अनुयायियों के लिए खोल दिए गए। लेकिन हिन्दू धर्मस्थलों पर प्रतिबंध जारी रहा। विश्व हिन्दू परिषद, भाजपा के साथ अन्य हिन्दू संगठनों द्वार लगातार आंदोलन करने के बाद ही हिन्दू मंदिर तथा अन्य धार्मिक स्थल खुल पाए थे।
मंदिरों के खुलने के बाद भी हिन्दू उत्सवों पर प्रतिबंध जारी रहा, जबकि अन्य मजहबी उत्सवों पर कोई पाबंदी या रोक नहीं थी। जनता के बार-बार मांग करने पर भी ठाकरे सरकार ने हिन्दू उत्सवों से प्रतिबंधों को नहीं हटाया । इन प्रतिबंधों के अंतर्गत दही-हांडी की ऊंचाई पर और गोविंदा जत्थे की संख्या पर कड़े प्रतिबंध थे। मुम्बई और ठाणे परिसर के दहीहांडी उत्सव ऊंची-ऊंची दही-हांडी के लिए प्रसिद्ध हैं | दुनिया भर से लोग मुम्बई का दही-हांडी उत्सव देखने आते हैं। अनेक यूरोपीय लोग तो दही-हांडी में अपने गोविंदा जत्थे लेकर सहभागी होते हैं। ऐसे में ठाकरे सरकार द्वारा लगाए प्रतिबंधों के कारण सबकी किरकिरी हो रही थी। जनता नाराज थी। हर हिन्दू उत्सव की तरह दही-हांडी का अपना एक स्वतंत्र वित्ततंत्र चलता है, जो ठप पड़ गया था।
1,000 करोड़ रुपये से अधिक का गणेशोत्सव में होता है कारोबार है
4,000 से अधिक स्थलों पर हुआ दही होडी उत्सव का आयोजन
This story is from the September 04, 2022 edition of Panchjanya.
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