गांधी और डॉक्टर जी की मुलाकात
Panchjanya|October 16, 2022
संघ के संस्थापक डॉ. हेडगेवार के साथ गांधी जी की मुलाकात और दोनों के बीच वार्ता विशाल सामाजिक-राजनीतिक मिशन की कल्पना करने वाले दो राष्ट्रवादी दिग्गजों के बीच हुई एक दुर्लभ, विशिष्ट और रचनात्मक बातचीत है। लेकिन इसे भारत के सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक विमर्श से दूर रखा गया
डॉ. सबरीश पी.ए.
गांधी और डॉक्टर जी की मुलाकात

हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इंडिया गेट की कैनॉपी में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 28 फुट ऊंची काले ग्रेनाइट की भव्य प्रतिमा का अनावरण किया। साथ ही, 'कर्तव्य पथ' का  भी उद्घाटन किया, जो सेंट्रल विस्टा परियोजना का एक हिस्सा है। इस वर्ष 23 जनवरी को नेताजी बोस की 125वीं जयंती को 'पराक्रम दिवस' के रूप में मनाया गया था। वास्तव में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम अपनी मातृभूमि को उपनिवेशवाद की बेड़ियों से मुक्त करने के महान उद्देश्य से हेतु भारतीय उपमहाद्वीप की विविध सामाजिक-सांस्कृतिक, राजनीतिक, बौद्धिक, दार्शनिक और आर्थिक पहचानों के एकीकरण का अनन्य अवसर था। स्वतंत्रता आंदोलन निर्विवाद रूप से बहुत से स्वतंत्रता सेनानियों और संगठनों के लिए भारत की स्वतंत्रता और स्वतंत्रता के बाद के उपक्रमों के बारे में अपने विचारों और कल्पनाओं को साझा करने का मंच भी था। अपनी-अपनी धारणाओं के बावजूद अहिंसा, सशस्त्र संघर्ष, सांस्कृतिक जागृति, सामाजिक उत्थान आदि भारत को स्वतंत्र कराने के लिए कई महान व्यक्तियों द्वारा प्रयुक्त कुछ तरीके थे। भारत जैसे बहुभाषी और बहुसांस्कृतिक राष्ट्र में क्षेत्रीय भाषाओं में राष्ट्रवादी भावना और जोश जगाने वाला विपुल साहित्य भरा है, जिसकी गूंज ने लाखों भारतीयों को एकजुट कर सड़क पर उतारा था। स्वतंत्रता आंदोलन का नेतृत्व करने वाली महान हस्तियों के बीच ऐतिहासिक वार्ताएं हुई थीं, जिनसे विविधता के बीच वे संयुक्त रूप से जीवित सामाजिक-सांस्कृतिक इकाई के रूप में भारत की अपनी समझ को समृद्ध कर सके थे। ऐसी ही एक वार्ता वर्ष 1934 में मोहनदास करमचंद गांधी और रा.स्व.संघ के संस्थापक तथा पहले सरसंघचालक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार के बीच हुई थी।

संघ की स्थापना के नौ वर्ष बाद 25 दिसंबर 1934 को वर्धा जिला शिविर में गांधी जी का आगमन और डॉक्टर जी से उनकी बातचीत शायद राष्ट्र के लिए विशाल सामाजिक-राजनीतिक मिशन की कल्पना करने वाले दो राष्ट्रवादी दिग्गजों के बीच हुई एक दुर्लभ, विशिष्ट और रचनात्मक बातचीत है। गांधी ने भारत की राजनीतिक स्वतंत्रता के लिए जहां सत्य और अहिंसा को माध्यम चुना था, वहीं डॉक्टर जी सामाजिक-सांस्कृतिक स्तर पर राष्ट्र के पुनर्निर्माण और परिवर्तन के लिए जनता को हिंदू-सांस्कृतिक और भारतीय पहचान प्रदान करने की अत्यधिक आवश्यकता महसूस करते थे।

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