अमदाबाद में आयोजित साबरमती संवाद-2022 में केंद्रीय रक्षा एवं पर्यटन राज्यमंत्री अजय भट्ट ने आत्मनिर्भर भारत की तस्वीर प्रस्तुत करते हुए कहा कि केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली राजग सरकार आने के 7-8 साल में ही देश का कायाकल्प हो गया है। आत्मनिर्भर होने के साथ 2013-14 की तुलना में निर्यात में भी ऐतिहासिक वृद्धि हुई है। अभी तक हम 38,500 करोड़ रुपये से अधिक का निर्यात कर चुके हैं। देश हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर बने, इसके लिए सरकार ने काफी मेहनत की है।
उन्होंने कहा कि इससे पहले ऐसा काम कभी नहीं हुआ। अटल बिहारी वाजपेयी का कार्यकाल भले ही छोटा था, पर उन्हीं के कार्यकाल में ही पोखरण में परमाणु परीक्षण हुआ। अटल जी का ध्येय वाक्य था- 'मेरे देश की जनता नमक रोटी खा लेगी, लेकिन हम किसी से दबेंगे नहीं।' नतीजा, भारत पर जो पाबंदियां थोपी गईं, उन्हें दुनिया को हटाना पड़ा। अजय भट्ट ने कहा कि 2020 में सिपरी ने दुनिया के 25 शीर्ष निर्यातक देशों की सूची जारी की, जिसमें पहली बार भारत को शामिल किया गया। भारत किसी भी मामले में पीछे नहीं है। अमेरिका व चीन के बाद भारत रक्षा बजट पर सबसे ज्यादा खर्च करता है। सेना में शामिल हमारा हेलिकॉप्टर एलएचएस अत्याधुनिक तकनीक से लैस है। इसमें प्रयुक्त तोप, बंदूक, गोली, मिसाइल सहित सभी सामान स्वदेशी हैं। मानवरहित जहाज का परीक्षण भी सफल रहा है। ड्रोन मामले में भी हम किसी से कम नहीं हैं। के- 9 बजरा बंदूक की तो तकनीक ही कमाल की है। उन्होंने आईएनएस विक्रांत को आत्मनिर्भर भारत का बड़ा उदाहरण बताया, जिससे पूरी दुनिया अचरज में है। इस पर तैनात युद्धक विमान को उड़ाने वाले पायलटों में महिलाएं भी हैं।
This story is from the November 06, 2022 edition of Panchjanya.
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शिक्षा, स्वावलंबन और संस्कार की सरिता
रुद्रपुर स्थित दूधिया बाबा कन्या छात्रावास में छात्राओं को निःशुल्क शिक्षा के साथ-साथ संस्कार और स्वावलंबन का पाठ पढ़ाया जा रहा। इस अनूठे छात्रावास के कार्यों से अनेक लोग प्रेरणा प्राप्त कर रहे
शिवाजी पर वामंपथी श्रद्धा!!
वामपंथियों ने छत्रपति शिवाजी की जयंती पर भाग्यनगर में उनका पोस्टर लगाया, तो दिल्ली के जेएनयू में इन लोगों ने शिवाजी के चित्र को फाड़कर फेंका दिया। इस दोहरे चरित्र के संकेत क्या हैं !
कांग्रेस के फैसले, मर्जी परिवार की
कांग्रेस में मनोनीत लोगों द्वारा 'मनोनीत' फैसले लिये जा रहे हैं। किसी उल्लेखनीय चुनावी जीत के बिना कांग्रेस स्वयं को विपक्षी एकता की धुरी मानने की जिद पर अड़ी है जो अन्य को स्वीकार्य नहीं हैं। अधिवेशन में पारित प्रस्ताव बताते हैं कि पार्टी के पास नए विचार के नाम पर विफलताओं का जिम्मा लेने के लिए खड़गे
फूट ही गया 'ईमानदारी' का गुब्बारा
अरविंद केजरीवाल सरकार की 'कट्टर ईमानदारी' का ढोल फट चुका है। उनकी कैबिनेट के 6 में से दो मंत्री सलाखों के पीछे। शराब घोटाले में सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय की जांच की आंच कभी भी केजरीवाल तक पहुंच सकती है
होली का रंग तो बनारस में जमता था
होली के मौके पर होली गायन की बात न चले यह मुमकिन नहीं। जब भी आपको होली, कजरी, चैती याद आएंगी, पहली आवाज जो दिमाग में उभरती है उसका नाम है- गिरिजा देवी। वे भारतीय संगीत के उन नक्षत्रों में से हैं जिनसे हिन्दुस्थान की सुबहें आबाद और रातें गुलजार रही हैं। उनका ठेठ बनारसी अंदाज। सीधी, खरी और सधुक्कड़ी बातें, लेकिन आवाज में लोच और मिठास। आज वे हमारे बीच नहीं हैं। अब उनके शिष्यों की कतार हिन्दुस्थानी संगीत की मशाल संभाल रही है। गिरिजा देवी से 2015 में पाञ्चजन्य ने होली के अवसर पर लंबी वार्ता की थी। इस होली पर प्रस्तुत है उस वार्ता के खास अंश
आनंद का उत्कर्ष फाल्गुन
भक्त और भगवान का एक रंग हो जाना चरम परिणति माना जाता है और इसी चरम परिणति की याद दिलाने प्रतिवर्ष आता है धरती का प्रिय पाहुन फाल्गुन। इसीलिए वसंत माधव है। राधा तत्व वह मृदु सलिला है जो चिरंतन है, प्रवाहमान है
नागालैंड की जीत और एक मजबूत भाजपा
नेफ्यू रियो 5वीं बार नागालैंड के मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं।
सूर्योदय की धरती पर फिर खिला कमल
त्रिपुरा और नागालैंड की जनता ने शांति, विकास और सुशासन के भाजपा के तरीके पर अपनी स्वीकृति की मुहर लगाई है। मेघालय में भी भाजपा समर्थित सरकार बनने के पूरे आसार। कांग्रेस और वामदल मिलकर लड़े, लेकिन बुरी तरह परास्त हुए और त्रिपुरा में पैर पसारने की कोशिश करने वाली तृणमूल कांग्रेस को शून्य से संतुष्ट होना पड़ा
जीवनशैली ठीक तो सब ठीक
कोल्हापुर स्थित श्रीक्षेत्र सिद्धगिरि मठ में आयोजित पंचमहाभूत लोकोत्सव का समापन 26 फरवरी को हुआ। इस सात दिवसीय लोकोत्सव में लगभग 35,00,000 लोग शामिल हुए। इन लोगों को पर्यावरण को बचाने का संकल्प दिलाया गया
नाकाम किए मिशनरी
भारत के इतिहास में पहली बार बंजारा समाज का महाकुंभ महाराष्ट्र के जलगांव जिले के गोद्री ग्राम में संपन्न हुआ। इससे पहली बार भारत और विश्व को बंजारा समाज, संस्कृति एवं इतिहास के दर्शन हुए। एक हजार से भी ज्यादा संतों और 15 लाख श्रद्धालुओं ने इसमें भाग लिया। इससे बंजारा समाज को हिन्दुओं से अलग करने और कन्वर्ट करने की मिशनरियों की साजिश नाकाम हो गई