आधुनिक भारतीय इतिहास में 21 अक्तूबर, 1943 की तिथि अत्यन्त महत्वपूर्ण है। इसी दिन सिंगापुर में 'आजाद हिंद' नाम से भारत की स्वतंत्र सरकार बनी थी । तिरंगे को राष्ट्रध्वज और 'जन-गण-मन' को राष्ट्रगीत की मान्यता दी गई । हालांकि यह एक अस्थायी सरकार थी, लेकिन इसने एक सुव्यवस्थित प्रशासनिक तंत्र की स्थापना की, जिसमें बैंक, मुद्रा, डाक विभाग, गुप्तचर विभाग के अलावा गांधी, सुभाष और नेहरू नाम से सेना के तीन डिवीजन भी थे। रानी झांसी रेजिमेंट नाम से महिला ब्रिगेड भी बनी। आजाद हिंद बैंक ने 10 रुपये से लेकर एक लाख रुपये तक के नोट जारी किए थे। सरकार गठन के बाद नेताजी सुभाषचंद्र बोस इसके मुखिया और सेना के सर्वोच्च कमांडर बने । ए.सी. चटर्जी वित्त विभाग, एस.ए. अय्यर प्रचार विभाग तथा लक्ष्मी स्वामीनाथन स्त्री मामलों के विभाग की प्रमुख घोषित की गईं।
आपस में अभिवादन के लिए 'जय हिंद' का प्रयोग शुरू हुआ। जिन देशों ने आजाद हिंद सरकार को मान्यता दी, उन देशों में सरकार ने अपने दूतावास खोले । इस सरकार को जर्मनी, जापान, इटली, चीन, कोरिया, मांचूको, आयरलैंड, बर्मा, फिलीपीन्स जैसे नौ देशों ने मान्यता दी थी। सरकार ने हिंदी के उत्थान के लिए भी अभूतपूर्व प्रयास किए। फौज में प्रशिक्षण के दौरान सेना में प्रयुक्त होने वाले अंग्रेजी शब्दों का स्थान हिंदी ने ले लिया। रंगून और सिंगापुर को मुख्यालय बनाकर सेना का पुनर्गठन और धन एकत्र करने का काम शुरू हुआ, जिसमें प्रवासी भारतीयों ने उत्साहपूर्वक योगदान दिया। नेताजी सुभाष ने कहा था, "अस्थाई सरकार का यह कर्तव्य होगा कि वह भारत भूमि से ब्रिटिश लोगों एवं उनके मित्रों को भगाए। भारतीय जनता का विश्वास हासिल कर उनकी मर्जी के मुताबिक स्थाई सरकार बनाना इसका दूसरा कर्तव्य होगा।" यहां दूसरा कर्तव्य से आशय लोकतंत्र की पवित्र भावना का उद्घोष है, न कि सर्वाधिकारवाद का।
आजाद हिंद फौज का विजय अभियान
This story is from the October 23, 2022 edition of Panchjanya.
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रुद्रपुर स्थित दूधिया बाबा कन्या छात्रावास में छात्राओं को निःशुल्क शिक्षा के साथ-साथ संस्कार और स्वावलंबन का पाठ पढ़ाया जा रहा। इस अनूठे छात्रावास के कार्यों से अनेक लोग प्रेरणा प्राप्त कर रहे
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फूट ही गया 'ईमानदारी' का गुब्बारा
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