हरियाणा में बीते माह दो दिवसीय चिंतन शिविर का आयोजन हुआ, जिसमें प्रदेशों के मुख्यमंत्री, मंत्रियों के अलावा केंद्र शासित राज्यों और विभिन्न प्रदेशों के वरिष्ठ ह पुलिस अधिकारी भी मौजूद थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने चिंतन शिविर को संबोधित किया। फरीदाबाद के सूरजकुंड में 27-28 अक्तूबर को अमित शाह की अध्यक्षता में आयोजित इस शिविर का मुख्य उद्देश्य था देश की आंतरिक सुरक्षा के सामने मौजूद बड़ी चुनौतियो से निबटने के लिए नीतियां निर्धारित की जाएं।
इसमें संदेह नहीं कि आज ऐसे चिंतन शिविर की आवश्यकता है, क्योंकि कई दशकों से आंतरिक सुरक्षा की समस्याएं चली आ रही हैं और उनका समाधान अभी तक नहीं हो सका है। जैसेपूर्वोत्तर में आजादी के बाद से ही कहीं न कहीं छोटे-बड़े विद्रोह होते रहे हैं। इनमें नगा समस्या सबसे बड़ी है। विद्रोही नगाओं के साथ समझौता भी हुआ था, परंतु उसे अभी तक अंतिम रूप नहीं दिया गया। नक्सल समस्या 1970 में शुरू हुई थी, लेकिन करीब है। केंद्रीय केंद्रीय गृह मंत्री 50 साल बाद भी इसका समाधान नहीं हुआ है। ने जल्द ही इस समस्या का समाधान करने का आश्वासन दिया है।
गले की फांस बनती समस्याएं
इसी तरह, कश्मीर समस्या करीब 30 साल से चली आ रही है। ऐसी कई समस्याएं दशकों से गले की फांस बनी हुई हैं, जिनका समाधान ढूंढने की जरूरत है। आंतरिक सुरक्षा की समस्या इतने लंबे समय से इसलिए चली आ रही है, क्योंकि पहले की सरकारों ने राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर कोई नीति ही नहीं बनाई । हर प्रगतिशील देश में हर समस्या पर शोध होता है और उसी आधार पर समस्या का समाधान किया जाता है। दुर्भाग्य से हमारे देश में यह परंपरा रही है कि हर सरकार अपने दृष्टिकोण के अनुसार स्थिति का आकलन करती है। इसका परिणाम यह होता है कि जब सरकारें बदलती हैं तो नीतियां भी बदल जाती हैं और समस्या वहीं की वहीं रह जाती है। हम दूरगामी नीति नहीं अपना पाते । इसलिए आवश्यकता इस बात की है कि हम भी राष्ट्रीय सुरक्षा नीति प्रतिपादित करें और इसके अंतर्गत समस्याओं का समाधान करें।
This story is from the November 13, 2022 edition of Panchjanya.
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