आज भी 'जिंदा' हैं बाबा जसवंत
Panchjanya|January 08, 2023
1962 के युद्ध में महावीर जसवंत सिंह रावत ने 300 से अधिक चीनी सैनिकों को मारा। जब वे घिर गए तो उन्होंने अंतिम गोली अपने पर ही चला ली थी। उनकी इस वीरता का सम्मान करने के लिए भारतीय सेना उन्हें आज भी बलिदानी नहीं मानती और उन्हें पदोन्नत करती रहती है
आज भी 'जिंदा' हैं बाबा जसवंत

भारत वीरों की भूमि है। अनगिनत वीरों ने अपना सर्वस्व न्योछावर कर इस देश की रक्षा की है। एक ऐसे ही वीर हैं जसवंत सिंह रावत। वे भारतीय सेना में राइफलमैन थे। 1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान इस वीर ने अकेले 72 घंटे तक चीनी सैनिकों का मुकाबला कर युद्ध की दिशा और दशा बदल दी थी। वीर जसवंत का जन्म उत्तराखंड में पौड़ी गढ़वाल जिले के बदयूं गांव में 19 अगस्त, 1941 को गुमान सिंह रावत के घर हुआ था। जसवंत में बचपन से ही देशप्रेम की भावना थी। इस कारण वे 19 अगस्त, 1960 को भारतीय सेना में बतौर राइफलमैन भर्ती हो गए।

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