अमृतकाल का पहला बजट - विकसित भारत की नींव
Panchjanya|PANCHJANYA 12 Feb 2023
इस बार के बजट की विशेषताओं की चर्चा बहुत कुछ आंखों पर पट्टी बांधकर हाथी को देखने जैसी रही। किसी को यह चुनावी बजट नजर आया, तो किसी को इन्फ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र को दी गई बढ़त दिखाई दी। कृषि का पहलू तो अपने स्थान पर है ही। क्या कोई ऐसी भी बात थी, जो वास्तव में इन सारी बातों का आपस में पिरोए हुए थी ? पाञ्चजन्य ने इस विषय पर बजट के उपरांत वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण से हर संभव पहलू बात की। स्वयं वित्त मंत्री की दृष्टि में वह सूत्र क्या था... देखिए इस विशेष प्रस्तुति में...
अमृतकाल का पहला बजट - विकसित भारत की नींव

आपकी दृष्टि में बजट का मर्म क्या है ? आपने कहा कि यह बजट अगले 25 वर्ष के लिए भारत की अर्थ नीतियों का एक ब्लूप्रिंट है। क्या आप इसे कुछ विस्तार से बताएंगी ? 

बहुत सारे कारक हैं, जो भारत के अमृत काल के लिए अनुकूल और सकारात्मक हैं, जिनमें जनसांख्यिकी, बुनियादी ढांचे का निर्माण और आपूर्ति शृंखलाओं का वैश्विक पुनर्गठन शामिल है। इस बजट में इस प्रकार की सम्मोहक दृष्टि और रणनीति प्रस्तुत की गई है, जो इस विश्वास को और मजबूत करती है। जैसे- पूंजीगत व्यय में भारी उछाल और मध्यम वर्ग पर कर के बोझ में कमी के माध्यम से हम निकट अवधि के विकास के लिए मजबूत आवेग प्रदान कर रहे हैं। बजट का संबंध उन तकनीकी रुझानों से भी है, जिन्हें भारत को अपने विकास के अगले चरण की योजना बनाते समय अपनाना होगा। इसी प्रकार, हमने सरकारी खर्च में उचित सुधार किया है। सरकार निवेश को पुनर्जीवित करने के लिए बड़े कदम उठा रही है, जिससे आने वाले वर्षों में विकास को गति मिलेगी।

2014 के बाद से अब तक के सारे बजट में से आपके द्वारा प्रस्तुत बजट में विशेष तौर से यह देखने में आया है कि कोई भी बजट किसी चुनाव या अन्य राजनीतिक स्थिति से खास तौर पर प्रेरित नहीं होता, बल्कि विकास की निरंतरता को बनाए रखने की दिशा में होता है। आने वाले वर्ष में लोकसभा चुनाव हैं। स्वाभाविक है कि इस बजट का असर चुनाव पर पड़ेगा। ऐसे में इस बार मुख्य चुनौती क्या रही ? 

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