![लो तैयार हो गया 'रामलला' का नया भव्य मन्दिर लो तैयार हो गया 'रामलला' का नया भव्य मन्दिर](https://cdn.magzter.com/1382621400/1704181435/articles/YYK9YMBkY1704268872246/1704269179420.jpg)
इन्तजार की घड़ियाँ समाप्त होने को हैं। उल्टी गिनती आरम्भ हो चुकी है। 22 जनवरी को मध्याह्न में रामलला अपने नए मन्दिर में दर्शन देंगे। लगभग 500 वर्ष के बाद अयोध्या में राम मन्दिर पुन: अस्तित्व में आया है। यह मन्दिर पूर्ण होने पर विश्व का तीसरा सबसे बड़ा मन्दिर होगा। प्राण-
प्रतिष्ठा एवं लोकार्पण समारोह 22 जनवरी, 2024 को है, जिसकी तैयारी जोर-शोर से की जा रही है। रामानन्दीय साधु-सन्तों के साथ-साथ अन्य हिन्दू सम्प्रदायों के साधु-सन्त तथा देशविदेश के विशिष्ट मेहमानों के साथसाथ लाखों लोगों के इस समारोह में भाग लेने की सम्भावना है।
श्रीराम के बाल स्वरूप की होगी पूजा
अयोध्या का यह मन्दिर रामलला का मन्दिर है अर्थात् श्रीराम के बाल स्वरूप की यहाँ पूजा होगी। अयोध्या भगवान् राम की जन्मस्थली है। माना जाता है कि जिस स्थान पर गर्भगृह बनाया गया है, उस स्थान पर भगवान् राम अपने बचपन में आराम किया करते थे। इसलिए इस मन्दिर में जो मुख्य विग्रह है, वह पाँच वर्षीय श्रीराम का स्वरूप होगा। लगभग 4 फुट 3 इंच की मुख्य प्रतिमा होने की रिपोर्ट मीडिया में हैं।
मन्दिर निर्माण से जुड़े संस्थान
अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के पश्चात् भारत सरकार द्वारा स्थापित श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने निर्धारित कालावधि में ही इस मन्दिर परियोजना के प्रथम चरण को पूर्ण कर दिया है, जो कि अपने-आप में एक उपलब्धि है। श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने मन्दिर के डिजाइन और निर्माण का कॉन्ट्रेक्ट 'लॉर्सन एण्ड टूब्रो' को दिया है। केन्द्रीय भवन अनुसंधान संस्थान, राष्ट्रीय भू-भौतिकीय अनुसंधान संस्थान और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान आदि ने भी परीक्षण, पर्यवेक्षण, डिजाइन एवं अन्य मामलों में परामर्श आदि के रूप में सहायता दी है।
मुख्य मन्दिर
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![केकड़ी के अष्टमुखी शिवलिंग केकड़ी के अष्टमुखी शिवलिंग](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/4730/1976974/SuR0wj8HF1738759486501/1738759610756.jpg)
केकड़ी के अष्टमुखी शिवलिंग
शिवलिंग का वृत्ताकार ऊर्ध्वभाग ब्रह्माण्ड का द्योतक माना जाता है। इस मन्दिर में पशुपतिनाथ के साथ उनके परिवार (शिव परिवार) की सुन्दर एवं वृहद् प्रतिमाओं को भी स्थापित किया गया है।
![मिथुन लग्न के नवम भाव में स्थित - गुरु एवं शुक्र के फल मिथुन लग्न के नवम भाव में स्थित - गुरु एवं शुक्र के फल](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/4730/1976974/C7d1RAaMZ1738758957083/1738759235341.jpg)
मिथुन लग्न के नवम भाव में स्थित - गुरु एवं शुक्र के फल
प्रस्तुत लेखमाला \"कैसे करें सटीक फलादेश?\" के अन्तर्गत मिथुन लग्न के नवम भाव में स्थित सूर्यादि नवग्रहों के फलों का विवेचन किया जा रहा है, जिसमें अभी तक सूर्य से बुध तक के फलों का विवेचन किया जा चुका है। उसी क्रम में प्रस्तुत आलेख में गुरु एवं शुक्र के नवम भाव में राशिगत, भावगत, नक्षत्रगत, युतिजन्य व दृष्टिजन्य फलों का विवेचन कर रहे हैं।
![उत्तर दिशा का महत्त्व और उसके गुण-दोष उत्तर दिशा का महत्त्व और उसके गुण-दोष](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/4730/1976974/mOmP8ZTNZ1738757679180/1738758947805.jpg)
उत्तर दिशा का महत्त्व और उसके गुण-दोष
उत्तर दिशा के ऊँचा होने या उत्तर दिशा में किसी भी प्रकार का वजन होने पर अथवा वहाँ पर पृथ्वी तत्त्व आने पर जलतत्त्व की खराबी हो जाती है।
![इतिहास के झरोखे से प्रयागराज महाकुम्भ इतिहास के झरोखे से प्रयागराज महाकुम्भ](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/4730/1976974/ED_fCI6K71738760919210/1738761138370.jpg)
इतिहास के झरोखे से प्रयागराज महाकुम्भ
इटली का निकोलाई मनुची 1656 से 1717 में अपनी मृत्यु पर्यन्त भारत में ही रहा और मुगलों सहित विभिन्न सेनाओं में सेनानायक के रूप में रहा।
!['कश्मीर' पूर्व में था 'कश्यपमीर'! 'कश्मीर' पूर्व में था 'कश्यपमीर'!](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/4730/1976974/uGgQp601J1738760064125/1738760413706.jpg)
'कश्मीर' पूर्व में था 'कश्यपमीर'!
केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में दिल्ली में एक किताब के विमोचन कार्यक्रम में कहा था कि 'कश्मीर' को 'कश्यप की भूमि' के नाम से जाना जाता है।
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क्यों सफल नहीं हो पा रही है गुजरात की 'गिफ्ट सिटी' एक वास्तु विश्लेषण
गिफ्ट सिटी की प्लानिंग इस प्रकार की गई है कि साबरमती नदी इसकी पश्चिम दिशा में है। यदि इसके विपरीत गिफ्ट सिटी की प्लानिंग साबरमती नदी के दूसरी ओर की गई होती, तो गिफ्ट सिटी की पूर्व दिशा में आ जाती।
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त्रिक भाव रहस्य - षष्ठ भाव और अभिवृद्धि
षष्ठ भाव एक ओर तो हमें विभिन्न प्रकार के रोगों और शत्रुओं से लड़ने की क्षमता प्रदान करता है, वहीं दूसरी ओर ऋण अर्थात् कर्ज के लेन-देन के विषय में ताकतवर बनाता है।
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लोककल्याणकारी देवता शिव
देवाधिदेव शिव लोककल्याणकारी देवता हैं। शिव अनादि एवं अनन्त हैं। शिव शक्ति का ही आदिरूप त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु एवं महेश में शिव को जहाँ संहार देवता माना है, वहाँ उनका आशुतोष रूप है अर्थात् शीघ्र प्रसन्न होने वाले देव।
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प्रयागराज महाकुम्भ का शुभारम्भ - रिकॉर्ड संख्या में श्रद्धालुओं ने किया संगम स्नान
प्रयागराज महाकुम्भ, 2025 ने 13 जनवरी (पौष पूर्णिमा) को अपने शुभारम्भ से ही एक नए इतिहास की रचना की ओर कदम बढ़ा दिए हैं। यह महाकुम्भ अपने प्रत्येक आयोजन में नया इतिहास रचता है।
![रात्रि जागरण एवं चार प्रहर पूजा - 26 फरवरी, 2025 (बुधवार) रात्रि जागरण एवं चार प्रहर पूजा - 26 फरवरी, 2025 (बुधवार)](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/4730/1976974/PqYFAHF5A1738760718820/1738760902571.jpg)
रात्रि जागरण एवं चार प्रहर पूजा - 26 फरवरी, 2025 (बुधवार)
नकेवल शैव धर्मावलम्बियों के लिए, वरन् समस्त सनातनधर्मियों के लिए 'महाशिवरात्रि' एक बड़ा पर्व है। इस पर्व के तीन स्तम्भ हैं: 1. उपवास, 2. रात्रि जागरण, 3. भगवान् शिव का पूजन एवं अभिषेक।