
इसके उपरान्त निर्माण हो जाने के बाद भी आपने जिस उद्देश्य पूर्ति के लिए इस कॉमर्शियल भवन का निर्माण किया है, उसकी उद्देश्य पूर्ति नहीं हो पाती है। व्यावसायिक बिल्डिंग, फैक्ट्री अथवा कारखाने का मालिक, व्यावसायिक बिल्डिंग का मैनेजर, व्यावसायिक बिल्डिंग से जुड़ी अन्य कंपनियाँ, कारखाने के ग्राहक, शेयरधारक आदि सभी पूरी तरह से उत्तम वास्तु और दूषित वास्तु दोनों तरह से प्रभावित होते हैं। वास्तुशास्त्र एक दक्ष, कुशल एवं तनावमुक्त कार्यप्रणाली के लिए प्रेरक कार्यस्थल का निर्माण करता है। वास्तुशास्त्र के द्वारा आपकी व्यावसायिक बिल्डिंग के अन्दर शान्ति, ऊर्जाशील वातावरण, कार्य की गुणवत्ता में वृद्धि होती है। व्यावसायिक वास्तु का मुख्य उद्देश्य स्फूर्तिदायक, उत्साहवर्धक और कार्य सक्षम परिवेश प्रदान करना है।
दक्षिण दिशा का कॉमर्शियल बिल्डिंग में प्रभाव
दक्षिण दिशा के स्वामी 'यम' हैं। 'यम' का अर्थ होता है नियम का पालन करने वाला, नियमों का कठोर, अनुशासनप्रिय और अपने सिद्धान्तों पर चलने वाला। दक्षिण का अर्थ सिद्धान्त भी है। इस कारण व्यक्ति अपने सिद्धान्तों पर चलकर जीवन में धीरे-धीरे बहुत आगे तक पहुँचता है। दक्षिण दिशा की खराबी की वजह से व्यावसायिक बिल्डिंग मालिक को आर्थिक, शारीरिक एवं पारिवारिक दुःखों का सामना करना पड़ता है। वैसे तो दक्षिण दिशा को व्यापार की ही दिशा माना गया है, परन्तु यदि दक्षिण दिशा में किसी भी प्रकार का वास्तुदोष जैसे कि व्यावसायिक बिल्डिंग की दक्षिण दिशा में किसी भी प्रकार का ओरवेल, पानी की टंकी, अण्डरग्राउण्ड वाटर टैंक, स्विमिंग व्यावसायिक बिल्डिंग के उपकरण, पूल, जिसका सीधा सम्बन्ध पानी अथवा गड्ढ़ों से हो, दक्षिण में किसी भी प्रकार का वाटर एलीमेंट होने पर व्यावसायिक बिल्डिंग के कामकाज पूरी तरह से प्रभावित होते हैं, क्योंकि दक्षिण दिशा तो कैश फ्लो, क्रियान्वयन निष्पादन, शक्ति और आर्थिक स्थिरता की दिशा मानी जाती है और यहीं से कॉमर्शियल बिल्डिंग के व्यापार में उन्नति होती है।
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केकड़ी के अष्टमुखी शिवलिंग
शिवलिंग का वृत्ताकार ऊर्ध्वभाग ब्रह्माण्ड का द्योतक माना जाता है। इस मन्दिर में पशुपतिनाथ के साथ उनके परिवार (शिव परिवार) की सुन्दर एवं वृहद् प्रतिमाओं को भी स्थापित किया गया है।

मिथुन लग्न के नवम भाव में स्थित - गुरु एवं शुक्र के फल
प्रस्तुत लेखमाला \"कैसे करें सटीक फलादेश?\" के अन्तर्गत मिथुन लग्न के नवम भाव में स्थित सूर्यादि नवग्रहों के फलों का विवेचन किया जा रहा है, जिसमें अभी तक सूर्य से बुध तक के फलों का विवेचन किया जा चुका है। उसी क्रम में प्रस्तुत आलेख में गुरु एवं शुक्र के नवम भाव में राशिगत, भावगत, नक्षत्रगत, युतिजन्य व दृष्टिजन्य फलों का विवेचन कर रहे हैं।

उत्तर दिशा का महत्त्व और उसके गुण-दोष
उत्तर दिशा के ऊँचा होने या उत्तर दिशा में किसी भी प्रकार का वजन होने पर अथवा वहाँ पर पृथ्वी तत्त्व आने पर जलतत्त्व की खराबी हो जाती है।

इतिहास के झरोखे से प्रयागराज महाकुम्भ
इटली का निकोलाई मनुची 1656 से 1717 में अपनी मृत्यु पर्यन्त भारत में ही रहा और मुगलों सहित विभिन्न सेनाओं में सेनानायक के रूप में रहा।

'कश्मीर' पूर्व में था 'कश्यपमीर'!
केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में दिल्ली में एक किताब के विमोचन कार्यक्रम में कहा था कि 'कश्मीर' को 'कश्यप की भूमि' के नाम से जाना जाता है।

क्यों सफल नहीं हो पा रही है गुजरात की 'गिफ्ट सिटी' एक वास्तु विश्लेषण
गिफ्ट सिटी की प्लानिंग इस प्रकार की गई है कि साबरमती नदी इसकी पश्चिम दिशा में है। यदि इसके विपरीत गिफ्ट सिटी की प्लानिंग साबरमती नदी के दूसरी ओर की गई होती, तो गिफ्ट सिटी की पूर्व दिशा में आ जाती।

त्रिक भाव रहस्य - षष्ठ भाव और अभिवृद्धि
षष्ठ भाव एक ओर तो हमें विभिन्न प्रकार के रोगों और शत्रुओं से लड़ने की क्षमता प्रदान करता है, वहीं दूसरी ओर ऋण अर्थात् कर्ज के लेन-देन के विषय में ताकतवर बनाता है।

लोककल्याणकारी देवता शिव
देवाधिदेव शिव लोककल्याणकारी देवता हैं। शिव अनादि एवं अनन्त हैं। शिव शक्ति का ही आदिरूप त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु एवं महेश में शिव को जहाँ संहार देवता माना है, वहाँ उनका आशुतोष रूप है अर्थात् शीघ्र प्रसन्न होने वाले देव।

प्रयागराज महाकुम्भ का शुभारम्भ - रिकॉर्ड संख्या में श्रद्धालुओं ने किया संगम स्नान
प्रयागराज महाकुम्भ, 2025 ने 13 जनवरी (पौष पूर्णिमा) को अपने शुभारम्भ से ही एक नए इतिहास की रचना की ओर कदम बढ़ा दिए हैं। यह महाकुम्भ अपने प्रत्येक आयोजन में नया इतिहास रचता है।

रात्रि जागरण एवं चार प्रहर पूजा - 26 फरवरी, 2025 (बुधवार)
नकेवल शैव धर्मावलम्बियों के लिए, वरन् समस्त सनातनधर्मियों के लिए 'महाशिवरात्रि' एक बड़ा पर्व है। इस पर्व के तीन स्तम्भ हैं: 1. उपवास, 2. रात्रि जागरण, 3. भगवान् शिव का पूजन एवं अभिषेक।