उस समय भारत को जादू और सपेरे की भूमि माना जाता था, एक ऐसी भूमि जहाँ बाघ और हाथी सड़क पर घूमते थे, एक ऐसी भूमि जहाँ महिलाएं अपने बच्चों को, मगरमच्छों के खाने के लिए नदी में फेंक देती थीं, एक ऐसी भूमि जो अंधविश्वास और अज्ञानता में डूबी हुई थी। ऐसी भूमि जिसे गोरे व्यक्ति के धर्म द्वारा बचाने की आवश्यकता थी। लेकिन स्वामी विवेकानन्द ने अपने प्रभावशाली सम्बोधनों में महान हिन्दू धर्म की व्याख्या की और साथ ही सीधे हमले किए बिना उनके (पश्चिमी देशों के दर्शन और मत की सीमाओं को दिखाया, भारत के सम्बन्ध में उनकी धारणा बदल दी। समाचार पत्रों ने लिखा, 'हमें ही भारत का धर्म सीखना होगा। कई उनके अनुयायी बन गए और कुछ उनके साथ हिन्दू धर्म अपनाने के लिए भारत आए।
आज, हम देखते हैं कि यह सब वैचारिक युद्ध है। पुराने दिनों में एक देश को अपने स्वहित के लिए भौतिक रूप से देशों को जीतना पड़ता था। तत्पश्चात् देश को भौतिक रूप से जीतने की आवश्यकता नहीं रही, यदि अन्य देशों के बाजारों पर कब्जा किया जाए तो वही स्वहित के लिए पर्याप्त था। आज, एक देश को दूसरे देशों के लोगों के मन को जीतना है ताकि वे लोग उस देश के हित में व्यवहार करें। इस प्रकार, विचारों (नैरेटिवज्) का युद्ध तेज हो गया है। माननीय एकनाथजी ने इस स्थिति का पूर्वाभास किया था, अतः उन्होंने विवेकानन्द केन्द्र की परिकल्पना एक वैचारिक आंदोलन के रूप में की है। इसलिए विवेकानन्द केन्द्र के कार्यकर्ताओं के लिए यह बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। सार्वजनिक समारोहों को उद्देश्यपूर्ण ढंग से आयोजित किया जाना चाहिए, ताकि ये समारोह भारतीय विचारधारा को उसकी प्रासंगिकता के अनुसार समाज में स्थापित करने का अवसर बनें। इस प्रकार, समारोहों को यूं ही आयोजित नहीं किया जाना चाहिए बल्कि हमें अधिक से अधिक व्यक्तियों को आमंत्रित करने का प्रयास करना चाहिए।
This story is from the Kendra Bharati September 2022 edition of Kendra Bharati - केन्द्र भारती.
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प्रेमकृष्ण खन्ना
स्थानिक विभूतियों की कथा - २५
स्वस्थ विश्व का आधार बना 'मिलेट्स'
मिलेट्स यानी मोटा अनाज। यह हमारे स्वास्थ्य, खेतों की मिट्टी, पर्यावरण और आर्थिक समृद्धि में कितना योगदान कर सकता है, इसे इटली के रोम में खाद्य एवं कृषि संगठन के मुख्यालय में मोटे अनाजों के अन्तरराष्ट्रीय वर्ष (आईवाईओएम) के शुभारम्भ समारोह के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदीजी के इस सन्देश से समझा जा सकता है :
जब प्राणों पर बन आयी
एक नदी के किनारे एक पेड़ था। उस पेड़ पर बन्दर रहा करते थे।
देव और असुर
बहुत पहले की बात है। तब देवता और असुर इस पृथ्वी पर आते-जाते थे।
हर्षित हो गयी वानर सेना
श्री हनुमत कथा-२१
पण्डित चन्द्र शेखर आजाद
क्रान्तिकारियों को एकजुट कर अंग्रेजी शासन की जड़ें हिलानेवाले अद्भुत योद्धा
भारत राष्ट्र के जीवन में नया अध्याय
भारत के त्रिभुजाकार नए संसद भवन का उद्घाटन समारोह हर किसी को अभिभूत करनेवाला था।
समान नागरिक संहिता समय की मांग
विगत दिनों से समान नागरिक संहिता का विषय निरन्तर चर्चा में चल रहा है। यदि इस विषय पर अब भी कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया तो इसके गम्भीर परिणाम आनेवाली सन्तति और देश को भुगतना पड़ सकता है।
शिक्षा और स्वामी विवेकानन्द
\"यदि गरीब लड़का शिक्षा के मन्दिर न आ सके तो शिक्षा को ही उसके पास जाना चाहिए।\"
लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक
२३ जुलाई, जयन्ती पर विशेष