तोतापुरी महाराज समुद्र की बालू में दोपहर तक लेटे रहते और धूनी भी जगाते थे। उनके शरीर में पित्तदोष बढ़ गया, इससे उनका स्वभाव गुस्सेवाला हो गया था। एक बार रामकृष्णदेव को पता चला कि पौष मास की ऐसी कड़कड़ाती ठंडी में गुरुजी फलानी जगह पर आये हैं। रामकृष्णदेव अपने गुरु की महिमा, प्रभाव जानते थे क्योंकि वे माँ काली की उपासना से, प्रीति से सुसम्पन्न हृदय के धनी थे। वे गुरुजी की सेवा में पहुँच गये।
रात का समय था। गुरु-शिष्य के बीच सात्त्विक वार्तालाप और सत्संग चल पड़ा। सुख-दुःख में समता का महत्त्व, सर्वं कर्माखिलं पार्थ ज्ञाने परिसमाप्यते... सारे शुभ कर्मों का फल यह है कि अपने आत्मा-परमात्मा के ज्ञान में जीवन धन्य हो जाय... आदि विषयों पर गुरु-शिष्य की चर्चा चलते-चलते प्रभात हो चला।
इतने में एक हुक्केबाज नशेड़ी आया। बोला : "बाबा ! थोड़ी-सी अग्नि चाहिए, तुम्हारी धूनी से एक कोयला ले लूँ ?"
This story is from the September 2022 edition of Rishi Prasad Hindi.
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रूहानी सौदागर संत-फकीर
१५ नवम्बर को गुरु नानकजी की जयंती है। इस अवसर पर पूज्य बापूजी के सत्संग-वचनामृत से हम जानेंगे कि नानकजी जैसे सच्चे सौदागर (ब्रहाज्ञानी महापुरुष) समाज से क्या लेकर समाज को क्या देना चाहते हैं:
पितरों को सद्गति देनेवाला तथा आयु, आरोग्य व मोक्ष प्रदायक व्रत
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कर्म करने से सिद्धि अवश्य मिलती है
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अपने ज्ञानदाता गुरुदेव के प्रति कैसा अद्भुत प्रेम!
(गतांक के 'साध्वी रेखा बहन द्वारा बताये गये पूज्य बापूजी के संस्मरण' का शेष)
समर्थ साँईं लीलाशाहजी की अद्भुत लीला
साँईं श्री लीलाशाहजी महाराज के महानिर्वाण दिवस पर विशेष
धर्मांतरणग्रस्त क्षेत्रों में की गयी स्वधर्म के प्रति जागृति
ऋषि प्रसाद प्रतिनिधि।