त्रिदोष - शमन के लिए
वमनं कफनाशाय वातनाशाय मर्दनम् ।
शयनं पित्तनाशाय ज्वरनाशाय लंघनम् ॥
'कफनाश करने के लिए वमन (उलटी), वातनाश के लिए मर्दन (मालिश), पित्तनाश हेतु शयन तथा ज्वरनाश के लिए लंघन (उपवास) करना चाहिए।'
तो वैद्य की आवश्यकता ही क्यों?
दिनान्ते च पिबेद् दुग्धं निशान्ते च जलं पिबेत्।
भोजनान्ते पिबेत् तक्रं वैद्यस्य किं प्रयोजनम्॥
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ऋषि प्रसाद प्रतिनिधि।