
कार्तिकेय और गणेशजी शिव-पार्वती के सपूत थे। कार्तिकेय बड़े तथा गणेशजी छोटे थे। एक बार दोनों में थोड़ा विनोद चल पड़ा। कार्तिकेय बोले : ‘‘बड़ा भाई तो बड़ा होता है, छोटा तो छोटा होता है !"
गणेशजी ने कहा : ‘‘भैया ! आप मेरे बड़े भाई हो परंतु बड़े (ऊँचे) संस्कारों से छोटा व्यक्ति भी बड़ा हो सकता है।"
"कैसे?"
"उम्र से बड़े तो आदरणीय हैं परंतु छोटों को भी उन्नत होने की सुंदर व्यवस्था है। अगर शांतचित्त होता है, सत्संग सुनता है, शास्त्र पढ़ता है, ध्यान करता है तो छोटे-से-छोटा भी बहुत बड़ा (महान) हो जाता है।"
आपस में विवेक और भाव की प्रधानता से बातचीत हुई। शिव-पार्वती की संतानें हैं, अहंकार में आकर लड़ना तो वे जानते नहीं।
बोले : "चलो, मैया और पिताजी से पूछते हैं।"
दोनों भाइयों ने माँ-बाप के आगे अपनी बात रखी।
कार्तिकेय : ‘‘मैया ! बड़ा तो बड़ा होता है न?"
गणेशजी : “मैया ! छोटा भी तो बड़ा बन सकता है। छोटे विचार से व्यक्ति छोटा हो जाता है और बड़े विचार से व्यक्ति बड़ा हो जाता है न माँ ?"
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संत श्री आशारामजी गुरुकुलों के विद्यार्थियों ने प्राप्त किये विविध पुरस्कार
बापू के बच्चे, नहीं रहते कच्चे

व्रत, उपवास व जागरण का महापर्व
२६ फरवरी : महाशिवरात्रि पर विशेष

हमें इस पर विचार करना चाहिए
चार प्रकार के आनंदाभास हमारे जीवन में भर गये हैं। एक तो हम यह समझते हैं कि यह भोगेंगे तब सुखी होंगे। अर्थात् अपने आनंद को उठाकर भोग में रख दिया। यदि भोग चला गया पेरिस तब हम दुःखी रहेंगे। दूसरा, संग्रह का आनंद अर्थात् हम इतना इकट्ठा कर लेंगे अथवा हमारे पास इतना है, इस अभिमान से हम सुखी होंगे। एक में मनुष्य संग्रह का त्याग करके भी भोग का आनंद लेता है और दूसरे में भोग का त्याग करके संग्रह का आनंद लेता है।

सोशल मीडिया से अधिक जुड़ाव है घातक : प्रधानमंत्री, ऑस्ट्रेलिया
इन प्लेटफॉर्म्स का दुरुपयोग उपयोगकर्ताओं को एकतरफा सोचनेवाला तथा निष्क्रिय बना सकता है।

शरणागत के मनोरथ पूरे करते हैं करुणावान विश्वात्मा संत
२० मार्च को 'संत एकनाथजी षष्ठी' है। एकनाथजी महाराज के जीवन का एक बहुत रोचक प्रसंग पूज्य बापूजी के सत्संग-वचनामृत में आता है :

युवाओं हेतु आदर्श जीवन का संदेश
विद्याध्ययन करते हुए आदर्श, विवेक, सारावलोकनी बुद्धि, दूरदर्शी दृष्टि एवं अपने- आपका तथा संसार का ज्ञान प्राप्त करने से पहले जो युवक अधिकार एवं सम्मान लाभ की सिद्धि के लिए दौड़ पड़ते हैं, वे भी दरिद्र ही रह जाते हैं, कोई महत्त्वपूर्ण आदर्श पदाधिकार नहीं प्राप्त कर पाते।

पूज्य बापूजी का पावन संदेश आप स्वधर्म में आ जाओ
भगवद्गीता (३.३५) में आता है : स्वधर्मे निधनं श्रेयः परधर्मो भयावहः ||

हृदय-ग्रंथि खोलो, अपने स्वभाव को जगाओ
१३ व १४ मार्च : होलिकोत्सव पर विशेष

यह जलनेति का चमत्कार है!
जैसे टूटे-फूटे पुराने बर्तन निकाल देते हैं वैसे टूटे-फूटे पुराने चश्मे बक्से में भरे हुए थे...

यह कैसी चाट-पूरी है!
श्री रामकृष्ण परमहंस जयंती (ति.अ.) : १ मार्च