भक्तवत्सल सद्गुरु कैसे हमारे मन की दुविधाओं का, कमजोरियों का निर्मूलन करते हैं, हमारे जीवन को सही दिशा देते हैं, उन्नत जीवन हेतु उत्तम दृष्टिकोण प्रदान करते हैं ऐसे गुरुसान्निध्य के कुछ प्रसंगों को याद करते हुए पटना आश्रम (बिहार) में सेवारत नरेन्द्र प्रकाश तिवारीजी बताते हैं :
हृदयकोष की रक्षा का पाठ सिखाया
कुछ समय बाद मुझे दिल्ली आश्रम सँभालने की सेवा मिली। १९९६ की बात है। पानीपत (हरियाणा) में बापूजी का सत्संग समारोह होना था। पूज्यश्री करोलबाग-दिल्ली आश्रम में ठहरे थे। उस समय पानीपत में आश्रम नहीं बना था इसलिए दिल्ली आश्रम से ही सारी व्यवस्थाओं की देखभाल होती थी।
एक सुबह एक सज्जन मेरे पास आये, प्रार्थना करने लगे: ‘‘मैं सत्संग-स्थल पर पेड़े का स्टॉल लगाना चाहता हूँ।’’
मैंने उनसे चर्चा की और सहमति दे दी।
रात को वे पुनः आये, बोले : "आपकी स्वीकृति से मैं स्टॉल लगाने गया पर सत्संगस्थल पर एक भाई ने मुझे मना कर दिया। मैं क्या करूँ?’’
मेरे मन में क्रोध की ज्वाला भड़क उठी, 'मैंने 'हाँ' की थी तो उस भाई ने मना कैसे कर दिया?'
मैंने उनसे कहा : ‘‘मैं सुबह उस भाई से बात करूँगा।’’
वे सज्जन गये तो मैं भी अपने कमरे की ओर गया। पूज्यश्री मेरे बगल के कमरे में ठहरे थे। मैंने ज्यों ही अपने कमरे का दरवाजा खोला, पूज्य बापूजी की आवाज आयी : ‘“अरे कौन है?"
मैंने कहा : “जी, मैं हूँ 'महंत'।'
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अद्भुत हैं आँवले के धार्मिक व स्वास्थ्य लाभ!
पद्म पुराण के सृष्टि खंड में भगवान शिवजी कार्तिकेयजी से कहते हैं : \"आँवला खाने से आयु बढ़ती है। उसका जल पीने से धर्म-संचय होता है और उसके द्वारा स्नान करने से दरिद्रता दूर होती है तथा सब प्रकार के ऐश्वर्य प्राप्त होते हैं। कार्तिकेय ! जिस घर में आँवला सदा विद्यमान रहता है वहाँ दैत्य और राक्षस नहीं जाते। एकादशी के दिन यदि एक ही आँवला मिल जाय तो उसके सामने गंगा, गया, काशी, पुष्कर विशेष महत्त्व नहीं रखते। जो दोनों पक्षों की एकादशी को आँवले से स्नान करता है उसके सब पाप नष्ट हो जाते हैं।\"
पादपश्चिमोत्तानासन : एक ईश्वरीय वरदान
'जीवन जीने की कला' श्रृंखला में इस अंक में हम जानेंगे पादपश्चिमोत्तानासन के बारे में। सब आसनों में यह आसन प्रधान है। इसके अभ्यास से कायाकल्प हो जाता है। पूज्य बापूजी के सत्संग-वचनामृत में आता है :
आयु-आरोग्य, यश बढ़ानेवाला तथा पितरों की सद्गति करनेवाला व्रत
२८ सितम्बर : इंदिरा एकादशी पर विशेष
मन पर नियंत्रण का परिणाम
महात्मा गांधी जयंती : २ अक्टूबर
संग का प्रभाव
कैकेयी बुरी नहीं थी। मंथरा की संगत ने उसे पाप के मार्ग पर चला दिया। रावण के जीवन को पढ़ो। अच्छा-भला वेदों का पंडित, अपने कर्तव्य पर चलनेवाला विद्वान था वह। शूर्पणखा नाशिक के वनों से होती हुई लंका पहुँची और उसने रावण से कहा : \"भैया ! एक अत्यंत रूपवती रमणी को देखकर आयी हूँ। वह बिल्कुल तुम्हारे योग्य है। दो वनवासी उसके साथ हैं, तीसरा कोई नहीं है। यदि तुम ला सको तो...\"
साध्वी रेखा बहन द्वारा बताये गये पूज्य बापूजी के संस्मरण
(गतांक के 'कृपासिंधु गुरुवर सिखाते व्यवहार में वेदांत' से आगे)
वास्तविक विजय प्राप्त कर लो
१२ अक्टूबर : विजयादशमी पर विशेष
ॐकार-उच्चारण का हैरतअंगेज करिश्मा!
एक ए. सी. पी. का निजी अनुभव
सच्चे संत स्वयं कष्ट सहकर भी सत्य की रक्षा करते हैं
आज हम देखते हैं कि धर्म-विरोधी तत्त्वों द्वारा साजिश के तहत हमारे निर्दोष हिन्दू साधु-संतों की छवि धूमिल करके उनको फँसाया जा रहा है, उन्हें कारागार में रखा जा रहा है। ऐसी ही एक घटना का उल्लेख स्वामी अखंडानंदजी के सत्संग में आता है, जिसमें एक संत की रिहाई के लिए एक अन्य संत के कष्ट सहन की पावन गाथा प्रेरणा-दीप बनकर उभर आती है :
विषनाशक एवं स्वास्थ्यवर्धक चौलाई के अनूठे लाभ
बारह महीनों उपलब्ध होनेवाली तथा हरी सब्जियों में उच्च स्थान प्राप्त करनेवाली चौलाई एक श्रेष्ठ पथ्यकर सब्जी है। यह दो प्रकार की होती है : लाल पत्तेवाली और हरे पत्तेवाली।