आत्मा को किससे प्रमाणित करोगे?
Rishi Prasad Hindi|December 2023
यदि देह में आकर आत्मा कर्ता-भोक्ता, पापी-पुण्यात्मा, सुखी-दुःखी वास्तव में हो जाय तब तो मुक्त होने की उम्मीद छोड़ दो।
स्वामी अखंडानंदजी
आत्मा को किससे प्रमाणित करोगे?

श्री शंकराचार्यजी का श्लोक है : 

कर्त्तादिरूपश्चेत् माकांक्षीस्तर्हि मुक्तताम् ।

यदि तुम अपने आत्मा को पापी-पुण्यात्मा, सुखी-दुःखी, संसारी अर्थात् स्वर्ग-नरक और पुनर्जन्म में जाने-आनेवाला और परिच्छिन्न मानते हो तो चैतन्य परिच्छिन्न अर्थात् टुकड़ा हो गया। तो तुम मुक्त होने की आशा मत करो।

न हि स्वभावोऽभावानां व्यावर्तत् तौस्थवत् रवेः।

जैसे सूर्य का स्वभाव है गरमागरम, वह बदलकर ठंडा नहीं हो सकता इसी प्रकार यदि आत्मा का स्वभाव है पापी-पुण्यात्मा होना, सुखी-दुःखी होना, स्वर्ग-नरक में जाना, टुकड़ा होना तो वह बदल नहीं सकता। किसी भी वस्तु का जो सहज स्वभाव है वह छूटता नहीं। यदि वस्तु का सहज स्वरूप ही नहीं है तो वह वस्तु ही नहीं है। 

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