आजकल के लोगों में त्याग का बल ही नहीं है, क्या पता क्यों? इतना-इतना सुनते हैं। फिर भी... राजा भर्तृहरि ने जरा-सा सुना, राज्य छोड़ के चल दिये।
एक राजकुमार स्नान कर रहा था। नयी-नयी शादी हुई थी, पत्नियाँ बहुत थीं। कोई हाथ में गंगाजल लिये खड़ी है तो कोई कुछ और कर रही है। जो पटरानी थी वह मुलतानी मिट्टी से स्नान करा रही थी, ठंडे-ठंडे पानी की धार कर रही थी। एकाएक उसकी आँखों से आँसू टपके, राजकुमार की पीठ पर गिर गये दो आँसू। राजकुमार ने देखा तो पूछा कि “क्यों रोती है?”
बोली : ''मेरा चचेरा भाई कान में कह गया है कि ‘तुम्हारा भाई कहता है कि 'मैं जा रहा हूँ साधु होने को, फकीरी पाऊँगा। मुँह देखना है तो आ जा।' एक-का- एक है मेरा भाई और वह भी साधु होने जा रहा है।”
This story is from the October 2024 edition of Rishi Prasad Hindi.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Sign In
This story is from the October 2024 edition of Rishi Prasad Hindi.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Sign In
गोपाष्टमी पर क्यों किया जाता है गायों का आदर-पूजन?
९ नवम्बर : गोपाष्टमी पर विशेष
कर्म करने से सिद्धि अवश्य मिलती है
गतासूनगतासुंश्च नानुशोचन्ति पण्डिताः ॥
अपने ज्ञानदाता गुरुदेव के प्रति कैसा अद्भुत प्रेम!
(गतांक के 'साध्वी रेखा बहन द्वारा बताये गये पूज्य बापूजी के संस्मरण' का शेष)
समर्थ साँईं लीलाशाहजी की अद्भुत लीला
साँईं श्री लीलाशाहजी महाराज के महानिर्वाण दिवस पर विशेष
धर्मांतरणग्रस्त क्षेत्रों में की गयी स्वधर्म के प्रति जागृति
ऋषि प्रसाद प्रतिनिधि।
चल दिये तो चल दिये...
आत्मा के बाहर मत भटको। बाहर तुम्हारा कोई नहीं था, कोई नहीं है, कोई नहीं रहेगा। अपने केन्द्र में स्थित रहो, अपने आपे में आओ। पराये गाँव में कब तक भटकोगे? 'जरा यह कर लूँ, जरा वह कर लूँ...' आग लगा पेट्रोल डाल के। 'मैं और मेरे' पन को आग लगा दे मन से। ज्ञान पाना है कि बस संसार का टट्टू चलाते रहना है? ऐ जगत ! बस हो गया, तू कितने जन्मों से हमको भटकाता आया है !
भारतीय संस्कृति की महान देन : आयुर्वेद
२९ अक्टूबर : राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस पर विशेष
पूज्य बापूजी के साथ आध्यात्मिक प्रश्नोत्तरी
साधक : बापूजी ! जब सत्संग सुन के शांत होता हूँ तो ध्यान श्वासों पर केन्द्रित हो जाता है और श्वास बंद हो गये ऐसा लगता है, गहरी शांति आती है, आगे-पीछे की बातों का चिंतन नहीं रहता।
अद्भुत हैं आँवले के धार्मिक व स्वास्थ्य लाभ!
पद्म पुराण के सृष्टि खंड में भगवान शिवजी कार्तिकेयजी से कहते हैं : \"आँवला खाने से आयु बढ़ती है। उसका जल पीने से धर्म-संचय होता है और उसके द्वारा स्नान करने से दरिद्रता दूर होती है तथा सब प्रकार के ऐश्वर्य प्राप्त होते हैं। कार्तिकेय ! जिस घर में आँवला सदा विद्यमान रहता है वहाँ दैत्य और राक्षस नहीं जाते। एकादशी के दिन यदि एक ही आँवला मिल जाय तो उसके सामने गंगा, गया, काशी, पुष्कर विशेष महत्त्व नहीं रखते। जो दोनों पक्षों की एकादशी को आँवले से स्नान करता है उसके सब पाप नष्ट हो जाते हैं।\"
पादपश्चिमोत्तानासन : एक ईश्वरीय वरदान
'जीवन जीने की कला' श्रृंखला में इस अंक में हम जानेंगे पादपश्चिमोत्तानासन के बारे में। सब आसनों में यह आसन प्रधान है। इसके अभ्यास से कायाकल्प हो जाता है। पूज्य बापूजी के सत्संग-वचनामृत में आता है :