ठंड के दिनों में अकसर शारीरिक गतिविधियां काफी कम हो जाती है। ऐसे में मांसपेशियां सुस्त और अकड़ने लगती हैं, जिसके कारण कई सारी शारीरिक तकलीफें शुरू हो जाती हैं, विशेषकर जोड़ों का दर्द इस समय काफी बढ़ जाता है। आमतौर पर बोन डेंसिटी कम होने के कारण उम्रदराज लोगों में यह समस्या ज्यादा देखने को मिलती है। हालांकि, वर्तमान जीवनशैली के कारण कम उम्र के लोग भी इससे अछूते नहीं हैं, जिन्हें आर्थराइटिस न होने पर भी कलाई, कोहनी, टखना और घुटनों में दर्द बढ़ जाता है।
क्या है कारण
मांसपेशियों का शिथिल पड़ना: उम्र बढ़ने पर मांसपेशियों में शिथिलता आना स्वाभाविक है। और उनमें लचीलापन कम हो जाता है। सर्दियों में ये दिक्कत ज्यादा बढ़ जाती है। इसका सबसे बड़ा कारण ये होता है कि इस मौसम में हम सभी थोड़े सुस्त हो जाते हैं। मांसपेशियां फू या बढ़ने लगती हैं। चलने या हरकत होने पर मांसपेशियों में खिंचाव आता है, जिससे दर्द महसूस होता है।
हवा का बैरोमीट्रिक प्रेशर का कम होना: वैज्ञानिक थ्योरी के हिसाब से जोड़ों की मांसपेशियों को सामान्य तरीके से काम करने के लिए हवा का बैरोमैट्रिक प्रेशर बहुत जरूरी है, जोकि सर्दियों में बहुत कम होता है। घुटनों, टखनों, हिपबोन जैसे वेट बियरिंग जाइंट्स में साइनोवल फ्ल्यूड या कार्टिलेज कम होने लगती है। उनके आसपास के लिंगामेंट या कैपस्यूल में अकड़न आ जाती है। ठंड का स्तर बढ़ने से जोड़ों में दर्द की समस्या रहती है।
Bu hikaye Grehlakshmi dergisinin January 2023 sayısından alınmıştır.
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