हम अक्सर यह सुनते आए हैं कि शिशुओं की तेल मालिश जरूर होनी चाहिए और इसके फायदे तब ज्यादा होते हैं, जब उसकी मां अपने हाथों से शिशु की तेल मालिश करती है। शिशु की तेल मालिश करने से न सिर्फ उसकी हड्डियां मजबूत होती है बल्कि मांसपेशियों को भी मजबूती मिलती है। शिशु की तेल मालिश को आयुर्वेदिक अभ्यास में शिशु अभ्यंगम कहा जाता है। इसमें अभ्यंगम का मतलब तेल से पूरे शरीर की मालिश और शिशु का मतलब छोटा बच्चा होता है। शिशु अभ्यंगम बच्चों के लिए बेहतरीन उपचार में से एक है, जो शरीर में बढ़े हुए वात दोष के बीच संतुलन बनाए रखने में मदद करता है। ऐसा माना जाता है कि बचपन के दिनों में हमारी हड्डियां बढ़ती हैं, तो एक अच्छी तेल मालिश से हड्डियां मजबूत होती हैं। शिशु की तेल मालिश लंबाई बढ़ाने, मांसपेशियों को मजबूत बनाने, शक्तिशाली संवेदी अंगों, मस्तिष्क के विकास और प्रतिरक्षा में मदद करती है। आइए जानते हैं कि एक मां अपने शिशु की मालिश करके उसे किस तरह के फायदे पहुंचा सकती है। और यह भी जानते हैं कि शिशु अभ्यंगम यानी तेल मालिश कैसे सही तरीके से किया जा सकता है।
मां कैसे लगाए अपने शिशु को तेल
• शिशु अभ्यंगम को आदर्श तौर पर सुबह या शाम में खाली पेट में करने की सलाह दी जाती है। यदि शिशु ने तुरंत ही दूध पिया है, तो उस समय तेल मालिश करने की सलाह बिल्कुल नहीं दी जाती है बल्कि कहा जाता है कि दूध पीने के एक घंटे बाद ही मालिश करना सही रहता है।
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