दीवाली एक तरह से अंधेरे से उजाले की ओर यात्रा का त्योहार है. उजाले का यह पर्व चांद की रोशनी से खिली पूर्णिमा को नहीं बल्कि चारों ओर फैले अंधेरे को परिभाषित करती अमावस्या के दिन होता है. यानी कि जब चारों ओर अंधेरा हो तो हमें रोशनी लानी है. खुशियों की खोज करनी है. खुशियां हमारे आसपास ही हैं जो छोटीछोटी बातों में छिपी हैं. हमें इन को समेटना है. दीवाली पुराने, भूले बिसरे रिश्तों को जगाने और निभाने का भी त्योहार है.
आज की इस तकनीक सेवी दुनिया में जहां मनुष्य लगातार अकेला होता जा रहा है वहां हमारे लिए हर रोज रिश्तों की नई पौध लगाना बेहद जरूरी है. दीवाली के बहाने हमें परिवार और रिश्तेदारों के साथ क्वालिटी टाइम बिता कर मन आंगन को रोशन करने का मौका मिलता है. वैसे भी त्योहार खुशियां बांटने का एक जरिया है. दीवाली का त्योहार रोशनी और खुशियां ले कर आता है. इस त्योहार को अपने परिवार के साथ छोटीछोटी खुशियां समेटते हुए मनाएं.
घर को दें क्रिएटिव लुक
• दीवाली पर अपने घर की सजावट में थोड़ा बदलाव करें. पत्नी और बच्चों के साथ 2 दिन पहले से ही इस अभियान में जुड़ जाएं. इस से उन के साथ समय बिताने का मौका तो मिलेगा ही बीवी के साथ छोटीमोटी चुहलबाजियों को भी आनंद ले पाएंगे. बच्चे भी आप के नए हुनर को देख कर और साथ में मस्ती भरे पल बिता कर आनंदित होंगे.
• घर में पड़ी पुरानी चीजों को फेंकने के बदले उन्हें रीयूज करने की कोशिश करें. उन की मरम्मत करें और उन्हें नया लुक दें. जैसे आप पुरानी कांच की बोतलों से लैंप बना सकते हैं और पुराने डब्बों को सजा कर गमले बना सकते हैं. इस तरह अपने पुराने सामानों से घर को नया लुक दे सकते हैं. इस से आप का घर क्रिएटिविटी के साथ सजा हुआ दिखेगा जो सभी का पसंद भी आएगा. इस काम में भी बच्चों की मदद लेना न भूलें.
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